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वापसी में लंदन होते लौटना था. वहां भी लंदन के नामी मौल्स और शौप्स में यशोधरा के अर्धनग्न पोर्ट्रेट्स को देख कर वह बौखला गया. यहां के बाजारों ने भी यशोधरा के सौंदर्य की मादकता को जी भर कर भुनाया था. अब बाजार विदेशों का था तो मुंह पर घूंघट डाल कर पोर्ट्रेट तो बनवाते नहीं. जिस हद तक  वे यशोधरा के शारीरिक सौंदर्य को उघार कर भुना सकते थे, खुल कर भुनाया. यशोधरा ने भी बहुत खुल कर पोज दिए थे. ऐसे जो शायद गौतम ने अपने कमरे में भी न देखे होंगे. चूंकि यह सब कौंट्रैक्ट के अंतर्गत था, यशोधरा अपनी विदेश यात्राओं के दौरान यही सब करती रही.

धनदौलत की कोई कमी नहीं थी. ख्याति के लिए घर की प्रतिष्ठा को दांव पर लगा कर इस हद तक चली जाएगी, ऐसा गौतम ने स्वप्न में भी नहीं सोचा था. उस के संबंधी, मित्रगण सब से बढ़ कर उस के पिता का भी बिजनैस के कामों में लंदन, अमेरिका अनाजाना हमेशा होता रहता था. यशोधरा के इस तरह के पोट्रेट्स को देख कर उन की प्रतिक्रियाओं की कल्पना कर के गौतम इतनी ठंड में भी पसीने से भीग गया. उस ने यशोधरा को फोन पर ही बहुत जलीकटी सुनाई. वह अपनी निर्दोषिता बताती रही, लेकिन गौतम ने कुछ नहीं सुना और गरजता रहा. क्रोध के मारे सारे कामों को स्थगित कर वह लौट पड़ा.

गौतम के प्यार और विश्वास का अच्छा प्रतिदान दिया था यशोधरा ने.

कैसे वह यशोधरा के पास जल्द से जल्द पहुंच कर उस की इस हरकत का सबब मांगे सोच कर सारे रास्ते वह जलताभुनता रहा. घर पर जब यशोधरा ही नहीं मिली तब गौतम के क्रोध का पारा 7वें आसमान को छूने लगा. वह तो बच्चों के साथ शहर से बाहर गई हुई थी जबकि इस परिस्थिति में कम से कम गौतम के आने तक उसे घर में रहना था. मां को भी वह कुछ बता कर नहीं गई थी. उस ने गुस्से में अपने फोन को भी स्विच औफ कर रखा था. यशोधरा की जानकारी गौतम ने उस की मां से लेनी चाही तो उन्होंने भी अपनी अनभिज्ञता जताई.

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