‘‘सनी,मेरे पापा मेरी शादी की जल्दी कर रहे हैं,’’ सुनिधि कालेज कंपाउंड में घूमते हुए अपने बौयफ्रैंड से बोली.
‘‘तो इस में कौन सी बड़ी बात है? हर बाप पैदा होते ही अपनी लड़की की शादी कर देना चाहता है,’’ सनी लापरवाही से बोला.
‘‘तुम समझे नहीं. वे मेरी पंसद के नहीं अपनी पसंद के लड़के से शादी करना चाहते हैं,’’ सुनिधि कुछ तनाव में बोली.
‘‘जाहिर है, घर के मुखिया वे हैं तो उन की पसंद ही चलेगी न?’’ सनी उसी अंदाज में बोला.
‘‘सुनिधि, देखो अभी मेरे परिवार के साथ कई समस्याए हैं. पहली तो पापा की फैक्टरी उस हिसाब से नहीं चल रही जिस हिसाब से चलनी चाहिए. दूसरे मुझ से बड़ी 2 बहनें हैं जिन की शादी करनी है. अगर दोनों की शादी एकसाथ भी कर दें तो भी कम से कम 3 साल तो लगेंगे ही और उस के बाद 2 साल यानी 5 साल तक तो तुम्हे इंतजार करना ही पड़ेगा,’’ सनी बोला.
‘‘5 साल तक तो शायद पिताजी इंतजार न कर पाएं, क्योंकि 6 बहनों में मैं सब छोटी हूं. बाकी 5 बहनों की शादी वे कर चुके हैं. मेरी शादी कर के वे अपने कर्तव्यों की इतिश्री करना चाहते हैं. मां तो बचपन से है नहीं, पिताजी को भी एक अटैक आ चुका है. इसी कारण जल्दी मचा रहे हैं,’’ सुनिधि बोली.
‘‘तब तो तुम्हें अपने पिता की इच्छा का सम्मान करना ही चाहिए, क्योंकि मेरी समस्या तो 5 साल से अधिक भी चल सकती है,’’ सनी सुनिधि को समझाते हुए बोला.
‘‘मैं जानती हूं सनी, मगर डर इस बात का है कि शादी के बाद मेरे पति को यदि हमारे संबंधों के बारे में पता चल गया तो क्या होगा? हम लोग गलती तो कर ही चुके हैं,’’ सुनिधि तनिक भयभीत स्वर में बोली.
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