इस कल्पना से कि उस ने मेरे खिलाफ सब उगल दिया होगा, मेरा सर्वांग कांप उठा. ‘‘जल्दी कर, संजना आती होगी,’’ मैं ने अपनी बेकाबू धड़कनों को संभालने का प्रयास किया.
‘‘संजना जानती है ज्योति के बारे में. मैं ने उसे सब बता दिया है... सिवा इन पत्रों के,’’ जतिन नजरें झुकाए धीरे से बोला.
‘‘क्या? उसे यह सब बताने की क्या जरूरत थी, वह भी ऐसी अवस्था में?’’ मुझे जतिन पर गुस्सा आने लगा था. यह एक के बाद एक नादानियां किए जा रहा था. इसे क्या व्यावहारिकता की जरा भी समझ नहीं?
‘‘जरूरत थी मां और वह बहुत खुश है ज्योति के बारे में जान कर.’’
मुझे लगा, इस लड़के का दिमाग घूम गया है.
‘‘आप पहले पूरी बात सुन लीजिए, फिर सब समझ आ जाएगा. ज्योति ने बताया कि वह मुझ से शादी नहीं कर सकती, क्योंकि वह अपूर्ण है. एक दुर्घटना में वह अपने मातापिता के साथ अपनी प्रजनन क्षमता खो चुकी है, इसलिए वह किसी से विवाह नहीं कर सकती. आप की तरह मैं भी उस वक्त यह सुन कर जड़ रह गया था. इतनी बड़ी बात और ज्योति मुझे अब बता रही थी? अंदर से दूसरी आवाज आई, शुक्र है बता दिया. शादी के बाद पता चलता तो? तभी तीसरी आवाज आई, कहीं यह मुझे परख तो नहीं रही? मुझे असमंजस में खड़ा देख ज्योति आगे बोली कि इस स्थिति में तुम क्या, कोई भी लड़का मुझ से विवाह नहीं करेगा. मुझे तुम्हें पहले बता देना चाहिए था. पता नहीं अब तक किस गफलत में डूबी रही. खैर... अब हमारे रास्ते अलग हैं. वह जाने लगी तो मुझ से रहा नहीं गया. मैं ने आगे बढ़ कर उस का हाथ थाम लिया. नहीं ज्योति, मुझे छोड़ कर मत जाओ. मैं नहीं रह पाऊंगा. हम बच्चा गोद ले लेंगे.’’