क्या तुम मेरी दोस्ती का इतना भी मान नहीं रखोगी? मेरे इतने अनुनयविनय पर उस ने कहा कि वह सोच कर जवाब देगी. ये पत्र लौटाना शायद यही इंगित करता है कि वह अतीत भुला कर एक नई जिंदगी शुरू करने के लिए अपनेआप को तैयार कर रही है. पर उस ने ये पत्र आप को क्यों लौटाए, ये मेरी समझ नहीं आ रहा है.’’
‘‘अब छोड़ो न,’’ मैं ने पत्र समेटते हुए बात समाप्त करनी चाही. मैं नहीं चाहती थी
कि गड़े मुरदे उखड़ें और मेरा वह कठोर एकतरफा रूप जतिन के सामने आए, ‘‘मैं ये खत जला दूंगी. ज्योति का अतीत यहीं खत्म. अब वह आराम से एक नई जिंदगी की शुरुआत करेगी.’’
‘‘हां मां, काश ऐसा ही हो,’’ जतिन के चेहरे पर प्रसन्नता की रेखा खिंच गई. उस ने सामने रखे खतों में कोई दिलचस्पी नहीं दिखाई. मैं समझ गई कि ज्योति का अध्याय इस की जिंदगी की किताब से निकल चुका है. संजना लौट आई थी.
जतिन और संजना लौट गए. मैं ज्योति के खत अलमारी से जलाने के लिए निकाल लाई. मैं अच्छी तरह समझ सकती हूं ये खत वह मुझे क्यों दे गई है. मैं ने उस के चरित्र पर आक्षेप लगाते हुए उसे कालेज से निकालने की जो धमकी दी थी, उस से वह उस समय भले ही डर गई हो पर वह अपमान उसे हमेशा कचोटता रहा होगा. शायद अपनी बेगुनाही का सुबूत देने ही वह यहां आई थी. मुझे अपने सभी अनुत्तरित प्रश्नों का जवाब मिल गया था, इसलिए इन पत्रों को जला देना ही उचित था.