विजय की गुस्से भरी आवाज सुनते ही सुरेखा चौंक उठी. उस का मूड खराब था. वह तो विजय के आने का इंतजार कर रही थी कि कब विजय आए और वह अपना गुस्सा उस पर बरसाए क्योंकि आज सुबह औफिस जाते समय विजय ने वादा किया था कि शाम को कहीं घूमने चलेंगे. उस के बाद खरीदारी करेंगे. खाना भी आज होटल में खाएंगे. शाम को 6 बजे से पहले घर पहुंचने का वादा किया था.
4 बजे के बाद सुरेखा ने कई बार विजय के मोबाइल फोन पर बात करनी चाही तो उस का फोन नहीं सुना था. हर बार उस का फोन काट दिया गया था. वह समझ नहीं पा रही थी कि आखिर क्या बात है? जल्दी नहीं आना था तो मना कर देते. बारबार फोन काटने का क्या मतलब?
सुरेखा तो शाम के 5 बजे से ही जाने के लिए तैयार हो गई थी. पता नहीं, औफिस में देर हो रही है या यारदोस्तों के साथ सैरसपाटा हो रहा है. बस, उस का मूड खराब होने लगा था. उसे कमरे की लाइट औन करना भी ध्यान नहीं रहा.
सुरेखा ने विजय की ओर देखा. विजय का चेहरा गुस्से से तमतमा रहा था. 2 साल की शादीशुदा जिंदगी में आज वह पहली बार विजय को इतने गुस्से में देख रही थी.
सुरेखा अपना गुस्सा भूल कर हैरान सी बोल उठी, ‘‘यह क्या कह रहे हो? मैं कब से तुम्हारा इंतजार कर रही हूं. तुम्हारा फोन मिलाया तो हर बार तुम ने फोन काट दिया. आखिर बात क्या है?’’
‘‘बात तो बहुत बड़ी है. तुम ने मुझे धोखा दिया है. तुम्हारे मातापिता ने मुझे धोखा दिया है.’’