लेखक- आशीष दलाल

कल रात से ही वह अपनी सास से हुई बहस को ले कर परेशान थी. उस पर सोते वक्त पति के सामने अपना दुखड़ा रो कर मन हलका करना चाहा तो उस के मुंह से रमा सहाय का नाम सुन कर पति का गुस्सा सातवें आसमान पर पहुंच गया. सारी रात आंखों में ही कुछ समझते हुए और कुछ न समझ आने पर उस पर गहन विचार करते हुए उस ने गुजार दी.

सुबह उठी तो आंखें बोझिल हो रही थीं और सिर भारी हुआ जा रहा था. रात को सास और फिर पति के संग हुई बहस की वजह से आज उस का मन किसी से भी बात करने को न हो रहा था. न चाहते हुए भी भारी मन से पति के लिए टिफिन बना कर उन्हें नौकरी के लिए विदा किया और फिर आंखें बंद कर बैठ गई. वैसे भी इंसान को अपनी समस्याओं का कोई हल नहीं मिलता तो अंतिम सहारे के रूप में वह आंख बंद कर प्रकृति के बारे में सोचने लगता है.

“अब बंद भी कर यह नाटक और रसोई की तैयारी कर.” तभी उस के कानों में तीखा स्वर गूंजा.

अपनी सास की बात का कोई जवाब न दे कर वह हाथ जोड़ कर अपनी जगह से खड़ी हो गई. सास से उस की नजरें मिलीं. एक क्षण वह वहां रुकी और फिर चुपचाप रसोई में आ गई. उस के वहां से उठते ही उस की सास अपनी रोज की क्रिया में मग्न हो गई.

अभी भी कल वाली ही बात पर विचार कर वह अनमनी सी रसोई के प्लेटफौर्म के पास खड़ी हुई थी. तभी रसोई के प्लेटफौर्म की बगल वाली खिड़की से उस की नजर बाहर जा कर टिक गई. रसोईघर के बाहर खाली पड़ी जगह में पड़े अनुपयोगी सामान के ढेर पर कुछ दिनों से कबूतर का एक जोड़ा तिनकातिनका जोड़ कर घोंसला बनाने की कोशिश कर रहा था लेकिन थोड़े से तिनके इकट्ठे करने के बाद दोनों में न जाने किस बात को ले कर जोरजोर से अपने पंख फड़फड़ाते व सारे तिनके बिखर कर जमीन पर आ गिरते. जैसेतैसे आपस में लड़तेझगड़ते और फिर एक हो कर आखिरकार घोंसला तो उन्होंने तैयार कर ही लिया था और कबूतरी घोंसले में अपने अंडों को सेती हुई कई दिनों से तपस्यारत इत्मीनान से बैठी हुई थी. उसे आज घोंसले में कुछ हलचल नजर आई. अपनी जिज्ञासा मिटाने के लिए वह खिड़की के पास के दरवाजे से बाहर गई और अपने पैरों के पंजों को ऊंचा कर घोंसले में नजर डालने लगी. उस की इस हरकत पर घोंसले में बैठी हुई कबूतरी सहम कर अपनी जगह से थोड़ी सी हिली. 2 अंडों में से एक फूट चुका था और एक नन्हा सा बच्चा मांस के पिंड के रूप में कबूतरी से चिपका हुआ बैठा था. सहसा उस के चेहरे पर छाई उदासी की लकीरों ने खुदबखुद मुड़ कर मुसकराहट का रूप ले लिया. उस ने अपना हाथ बढ़ा कर कबूतरी को सहलाना चाहा लेकिन कबूतरी उस के इस प्रयास को अपने और अपने बच्चे के लिए घातक जान कर गला फुला कर अपनी छोटी सी चोंच से उसे दूर खदेड़ने का यत्न करने लगी.

आगे की कहानी पढ़ने के लिए सब्सक्राइब करें

डिजिटल

(1 साल)
USD48USD10
 
सब्सक्राइब करें

डिजिटल + 24 प्रिंट मैगजीन

(1 साल)
USD100USD79
 
सब्सक्राइब करें
और कहानियां पढ़ने के लिए क्लिक करें...