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‘‘मेरे बारे में?’’ नरेशा हंसा और बोला, ‘‘अब क्या बताऊं मैडमजी, जब मैं 10 साल का था तभी मेरे पिताजी मुझे छोड़ कर चले गए और कुछ महीने बाद दादी भी हमें अकेला कर गईं. फिर मां ने लोगों के कपड़े सिल कर मुझे बड़ा किया, पढ़ायालिखाया. लेकिन मेरा मन पढ़ने में जरा भी नहीं लगता था. सोचता, क्या करूं जो मां को काम न करना पड़े. इसलिए मैं ने एक गैराज में नौकरी कर ली. लेकिन वहां भी मेरा मन नहीं लगा, तो गाइड बन गया और आज आप के सामने खड़ा हूं,’’ बोल कर नरेश हंसा तो जोली भी खिलखिला पड़ी. नरेश कहने लगा कि अब यही उस की छोटी सी दुनिया है.

‘‘नरेश... तुम्हारी यह छोटी सी दुनिया बहुत ही सुंदर है और देखो अब मैं भी तुम्हारी इस छोटी सी दुनिया की सदस्य बन गई न,’’ बोल कर जोली ने नरेश को चूम लिया.

जोली के ऐसे व्यवहार से नरेश का पूरा शरीर सिहर उठा. वह तो

सम?झ ही नहीं सका कि एकदम से यह क्या हो गया. अपलक वह जोली को देखने लगा.

‘‘क्या हुआ... करंट लगा?’’ बोल कर जोली ने फिर उस के गालों पर किस कर लिया, ‘‘अच्छे लगते हो तुम मुझे,’’ बोल कर जोली ने उस की आंखों में ?झंका तो शरमा कर उस ने अपनी नजरें ?झका लीं. एकांत में जब 2 युवा दिल मिलते हैं तो अपनेआप उन के बीच की दूरियां सिमट कर छोटी हो जाती हैं. यहां भी यही हुआ. दोनों की मरजी से कुछ ही पलों में दोनों के बीच की सारी औपचरिकताएं मिट गईं और फिर ऐसा बारबार होने लगा. लेकिन जोली के लिए यह कोई नई बात नहीं थी. उस के लिए तो यह पेट की भूख की तरह था. मगर नरेश इसे प्यार सम?झ बैठा. जोली हर रात नरेश के आगोश में समा जाती और वह जोली को ले कर रोज नए सपने बुनता.

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