कहानी के बाकी भाग पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें

घर में बैडरूम से अटैच बाथरूम को धोने के लिए ड्राइंगरूम को पार करते हुए बैडरूम में घुस कर ही बाथरूम जाया जा सकता था. 3 बैडरूम का मकान होने के कारण अलग से पूजाघर नहीं बना पाए थे. स्टोर में ही मंदिर रख कर पूजाघर बना लिया था पर स्टोर भी इतना बड़ा तथा हवादार नहीं था कि उस में कोई इंसान घंटे 2 घंटे बैठ कर पूजा कर पाए. वैसे भी सुबह कई बार उसे स्वयं ही कोई न कोई सामान निकालने स्टोर में जाना ही पड़ता था जिस से मांजी की पूजा में विघ्न पड़ता था. मांजी ऐसी ढकोसलेबाजी में कुछ ज्यादा ही विश्वास करती थी. इसलिए आरती कर के वे बैडरूम में ही कुरसी डाल कर पूजा किया करती थीं.

जिस समय रामू सफाई करने आता, वही उन का पूजा का समय रहता था. कई बार उस से उस समय आने के लिए मना किया पर उस का कहना था, 9 से 5 बजे तक मेरी नगरनिगम के औफिस में ड्यूटी रहती है, यदि इस समय सफाई नहीं कर पाया तो शाम के 5 बजे के बाद ही आ पाऊंगा.

मजबूरी के चलते उस का आना उसी समय होता था. उस के आते ही मांजी उसे हिकारत की नजर से देखते हुए अपनी साड़ी के पल्लू से अपनी नाक ढक लेती थीं तथा उस के जाते ही जहांजहां से उस के गुजरने की संभावना होती, पोंछा लग जाने के बाद भी फिर पोंछा लगवातीं तथा गंगाजल छिड़क कर स्थान को पवित्र करने का प्रयास करते हुए यह कहने से बाज नहीं आती थीं कि इस ने तो मेरी पूजा ही भंग कर दी.

आगे की कहानी पढ़ने के लिए सब्सक्राइब करें

डिजिटल

(1 साल)
USD48USD10
 
सब्सक्राइब करें

डिजिटल + 24 प्रिंट मैगजीन

(1 साल)
USD100USD79
 
सब्सक्राइब करें
और कहानियां पढ़ने के लिए क्लिक करें...