सुनंदा की कुछ नामचीन लेखकों से मिलने की बड़ी तमन्ना थी. लेकिन जब वह उन से मिली तो फिर कभी न मिलने की ठान ली. आखिर क्या हुआ था उस के साथ...
सुनंदा बहुत खुश थी कि आखिरकार उसे साहित्य जगत की इतनी महान हस्तियों के साक्षात दर्शन हो जाएंगे. साहित्य जगत के (तथाकथित) धुरंधर उस के शहर बनारस में एक साहित्यिक संस्था के किसी आयोजन में आ रहे थे. सुजाता फेसबुक पर तीनों से जुड़ी थी. नंदिनी, विनय गोपाल और रंजना की तिकड़ी फेसबुक की सब से चर्चित तिकड़ी थी. तीनों ही साठ से ऊपर थे, कई पत्रिकाओं में तीस साल से लिख रहे थे. अब अचानक पता नहीं क्यों
तीनों ने साहित्यिक पत्रिकाओं की तरफ रुख कर लिया था. सुनंदा कई सालों से तीनों की रचनाएं पढ़ती आ रही थी और उन की बड़ी इज्जत करती थी. वह खुद 10 साल से लेखन जगत में अपनी अच्छी पहचान बना चुकी थी. उस की कहानियां, लेख निरंतर छप रहे थे. सोशल मीडिया पर तीनों से जुड़ कर सुनंदा बहुत खुश रहती कि 3 वरिष्ठ लेखक उस की मित्रता सूची में हैं. वह दिल से उन का सम्मान करती. सोशल मीडिया पर अब जब सामने ही सब कुछ आ जाता है तो इन तीनों को भी पता था कि सुनंदा आजकल लिख रही है. अब उस ने नोट किया कि तीनों को ईगो मसाज करवाने की आदत है. ये तीनो यही चाहते कि जूनियर राइटर्स उन की हर रचना पर, उन की हर पोस्ट पर वाहवाही करते रहें, पर वह इन लोगों से मिलना, उन से बातें करना, उन के विचार जानना चाहती थी. इतने बड़े लेखकों के साथ कुछ पल भी बिता लेगी तो धन्य हो जाएगी.