मनीष उस समय 27 साल का था. उस ने अपनी शिक्षा पूरी कर मुंबई के उपनगर शिवड़ी स्थित एक काल सेंटर से अपने कैरियर की शुरुआत की, जहां का ज्यादातर काम रात को ही होता था. अमेरिका के ग्राहकों का जब दिन होता तो भारत की रात, अत: दिनचर्या अब रातचर्या में बदल गई.

मनीष एक खातेपीते परिवार का बेटा था. सातरस्ते पर उस का परिवार एक ऊंची इमारत में रहता था. पिता का मंगलदास मार्केट में कपड़े का थोक व्यापार था. मनीष की उस पुरानी गंदी गलियों में स्थित मार्केट में पुश्तैनी काम करने में कोई रुचि नहीं थी. परिवार के मना करने पर भी आई.टी. क्षेत्र में नौकरी शुरू की, जो रात को 9 बजे से सुबह 8 बजे तक की ड्यूटी के रूप में करनी पड़ती. खानापीना, सोनाउठना सभी उलटे हो गए थे.

जवानी व नई नौकरी का जोश, सभी साथी लड़केलड़कियां उसी की उम्र के थे. दफ्तर में ही कैंटीन का खाना, व्यायाम का जिमनेजियम व आराम करने के लिए रूम थे. उस कमरे में जोरजोर से पश्चिमी तर्ज व ताल पर संगीत चीखता रहता. सभी युवा काम से ऊबने पर थोड़ी देर आ कर नाच लेते. साथ ही सिगरेट के साथ एक्स्टेसी की गोली का भी बियर के साथ प्रचलन था, जिस से होश, बदहोश, मदहोश का सिलसिला चलता रहता.

शोभना एक आम मध्यम आय वाले परिवार की लड़की थी. हैदराबाद से शिक्षा पूरी कर मुंबई आई थी और मनीष के ही काल सेंटर में काम करती थी. वह 3 अन्य सहेलियों के साथ एक छोटे से फ्लैट में रहती थी. फ्लैट का किराया व बिजलीपानी का जो भी खर्च आता वे तीनों सहेलियां आपस में बांट लेतीं. भोजन दोनों समय बाहर ही होता. एक समय तो कंपनी की कैंटीन में और दिन में कहीं भी सुविधानुसार.

आगे की कहानी पढ़ने के लिए सब्सक्राइब करें

डिजिटल

(1 साल)
USD48USD10
 
सब्सक्राइब करें

गृहशोभा सब्सक्रिप्शन से जुड़ेें और पाएं

  • 2000+ फूड रेसिपीज
  • 6000+ कहानियां
  • 2000+ ब्यूटी, फैशन टिप्स
गृहशोभा इवेंट्स में इन्विटेशन

डिजिटल + 24 प्रिंट मैगजीन

(1 साल)
USD100USD79
 
सब्सक्राइब करें

गृहशोभा सब्सक्रिप्शन से जुड़ेें और पाएं

  • 24 प्रिंट मैगजीन
  • 2000+ फूड रेसिपीज
  • 6000+ कहानियां
  • 2000+ ब्यूटी, फैशन टिप्स
गृहशोभा इवेंट्स में इन्विटेशन
और कहानियां पढ़ने के लिए क्लिक करें...