समीर तो औफिस की बातें घर में करते नहीं हैं, इसलिए उन के औफिस में यदाकदा होने वाली पार्टियों का मेरे लिए बहुत महत्त्व है. औफिस की चटपटी बातों की जानकारी मुझे वहीं मिलती है.

कोई भी पति अपनी कमजोर बात तो पत्नी को कभी नहीं बताता, लेकिन अपने सहयोगियों की बातें जरूर बता देता है. फिर वही रसीली बातें जब पत्नी पार्टी वगैरह में बाकी औरतों से शेयर करती है, तो बताने वाली की आंखों की चमक और सुनने वालियों की दिलचस्पी देखते ही बनती है.

पिछले हफ्ते जो पार्टी हुई उस में अपने पतिदेव के कारण महिलाओं के आकर्षण का केंद्र मैं रही.

‘‘तेरे समीर का अकाउंट सैक्शन वाली चुलबुली रितु से चक्कर चल रहा है. जरा होशियार हो जा,’’ सब के बीच अपमानित करने वाली यह खबर सब से पहले मुझे नीलम ने चटखारे ले कर सुनाई.

इस खबर की पुष्टि जब इंदु, कविता और शिखा ने भी कर दी, तो शक की कोई गुंजाइश बाकी नहीं बची. यह सच है कि इस खबर ने मुझे अंदर तक हिला दिया था पर मैं ऊपर से मुसकराती रही.

उन सब की सलाह और सहानुभूति से बचने और एकांत में सोचविचार करने की खातिर मैं प्रसाधन कक्ष में चली आई.

एक बात तो मेरी समझ में यह आई कि समीर से झगड़ा करने का कोई फायदा नहीं होगा. मैं ने कई मामलों में देखा था कि लड़ाईझगड़ा कर के कई नासमझ पत्नियों ने अपने पतियों को दूसरी औरत की तरफ धकेल दिया था.

ऐसा मामला समझाने और गिड़गिड़ाने से भी हल नहीं होता है, इस के भी मैं कई उदाहरण देख चुकी थी. वैसे भी मैं आंसू बहाने वाली औरतों में नहीं हूं.

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