लंबी,छरहरी, गोरी व मृदुभाषिणी 48 साल की तियाशा इस फ्लैट में अब अकेली रहती है, मतलब रह गई है.
आई तो थी सपनों के गुलदान में प्यारभरी गृहस्थी का भविष्य सजा कर, लेकिन एक रात गुलदान टूट गया, सो फूल तूफानी झेंकों में उड़ गए.
तियाशा के पिता ने 2 शादियां की थीं.
बड़ी मां के गुजरने के बाद उस की मां से ब्याह रचाया था उस के पिता ने. उस की मां ने उस के सौतेले बड़े भैया को भी उसी प्यार से पाला था जैसे उसे. लेकिन मातापिता की मृत्यु के बाद भाभी की तो जैसे कुदृष्टि ही पड़ गई थी उस पर. अच्छीभली प्राइवेट कालेज में वह लैक्चरर थी. मगर उस की 32 की उम्र का रोना रोरो कर उसे चुनाव का मौका दिए बगैर उस की शादी जैसेतैसे कर दी गई.
शादी के समय किंशुक उस से 8 साल बड़ा था, एक बीमार विधवा मां थी उस की, जिन की तीमारदारी के चलते इकलौते बेटे ने अब तक शादी नहीं की थी. मगर जाने क्या हुआ, सास के गुजरने के 2 साल के अंदर ही किंशुक को हार्ट की बीमारी का पता चला. फिर तो जैसे शादी के 5 साल यों पलक झपकते गुजर गए कि कभी किंशुक का होना सपना सा हो गया.
7 बजने को थे. औफिस जाने की तैयारी में लग गई. आसमानी चिकनकारी कुरती और नीली स्ट्रैचेबल डैनिम जींस में कहना न होगा बहुत स्मार्ट लग रही थी. किंशुक उस का स्मार्ट फैशनेबल लुक हमेशा पसंद करता था.
औफिस पहुंच कर थोड़ी देर पंखे के नीचे सुस्ता कर वह अपने काम पर ध्यान देने की कोशिश करती. कोशिश ही कर सकती है क्योंकि घोषाल बाबू, मल्लिक यहां तक कि अंजलि और सुगंधा भी उसे काम में मन लगाने का मौका दें तब तो.