लौट जाओ सुमित्रा: उसे मुक्ति की चाह थी पर मुक्ति मिलती कहां है
स्त्री चाहे कितनी भी संपन्न, सुरक्षित या आधुनिक क्यों न हो, उसे अपने अस्तित्व, स्वामित्व व अपनत्व की आवश्यकता होती ही है. लेकिन सुमित्रा तो परिवार, बच्चे व पति वाले मकान में भी छटपटा रही थी. उसे मुक्ति की चाह थी पर मुक्ति मिलती कहां है?