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नैंसी का बस इतना कहना था कि नलिनी ने प्रचंड रूप धारण कर लिया और कहने लगी,"प्रौब्लम यह है कि तुम चाहती ही नहीं हो कि हम तुम्हारे साथ रहें, मैं तुम्हें किसी बात पर रोकटोक करूं, तुम्हें साड़ी पहनने को कहूं, तुम्हें अपने संग भजनकीर्तन में भाग लेने को कहूं, तुम्हें कालोनी की दूसरी बहुओं की तरह संस्कारी बनाने की कोशिश करूं."

नैंसी आवाक नलिनी को सुनती रही फिर बीच में ही उसे रोकती हुई बोली,"मम्मीजी, यह सब बेबुनियाद बेकार की बातें आप क्यों कह रही हैं?"

"अच्छा... बेबुनियाद बेकार की बातें? तुम कुछ दिन पहले ओल्ड‌ऐज होम ग‌ई थी और वहां से फौर्म भी ले कर आई हो, तुम हमें वृद्धाश्राम भेजना चाहती हो लेकिन मैं ऐसा नहीं होने दूंगी. हम अपने पुराने मकान में शिफ्ट हो जाएंगे. मैं ने किराएदार से मकान भी खाली करवा लिया है. हम वहीं जा रहे हैं यह उसी की तैयारी है," नलिनी तमतमाती हुई बोली.

इतना सब सुनने के बाद नलिनी के पति सौरभ चिढ़ते हुए बोले,"यह क्या बकवास कर रही हो. नैंसी ओल्ड‌ऐज होम जरूर गई थी, वहां से वह फौर्म भी ले कर आई है लेकिन हमें ओल्ड‌ऐज होम भेजने के लिए नहीं. नैंसी हर महीने कुछ सेविंग करती है और जब उस के पास अच्छीखासी सेविंग हो जाती है तो वह उन रूपयों से जरूरतमंदों की मदद करती है. कभी किसी गरीब मजदूर बच्चे के स्कूल का फीस भर देती है तो कभी किसी अनाथालय में जा कर उन की सहायता करती है.

"इस बार मैं ने ही उस से कहा कि मेरे दोस्त को सहायता की जरूरत है. मेरे दोस्त के बच्चे उसे वृद्धाश्रम में छोड़ कर, उस से सारे नाते तोड़ कर चले ग‌ए हैं. वह बहुत बीमार है. उस के इलाज के लिए पर्याप्त पैसे नहीं हैं इसलिए नैंसी वृद्धाश्रम गई थी और किसी संस्था में रूपए जमा करने के लिए उन की अपनी कुछ औपचारिकताएं होती हैं, उसी का फौर्म ले कर आई है नैंसी, जो तुम ने देखा होगा."

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