माता-पिता बेटे की कामना करते हैं कि बुढ़ापे में उन्हें आसरा रहेगा लेकिन जगदीश बाबू अपने अंतिम समय तक बेटों की सेवा के लिए तरस गए. बेटों का सुख उन्हें मिला रामचंद्र से जो था तो उन का नौकर लेकिन...