अशोक आज किचन में ब्रैड पर ऐक्सपैरिमैंट कर रहा था. सुलभा कंप्यूटर पर अपने औफिस का काम कर रही थी. नरेंद्र आइलैंड किचन के दूसरी तरफ बैठा बतिया भी रहा था और खा भी रहा था.
नरेंद्र ने एक नजर मेरी ओर डाली, फिर आंखें अपनी प्लेट पर टिका लीं. तभी सुलभा ने दहीवड़े को डोंगा उठा कर कहा, ‘‘नरेंद्र एक और ले लीजिए. देखिए तो आप की पसंद के बने हैं. कल मैं ने खुद बनाए थे... खास रैसिपी है.
‘‘बस अब और नहीं चाहिए सुलभा,’’ उस के यह कहते हुए भी सुलभा ने एक वड़ा प्लेट में डाल ही दिया. साथ ही कहा, ‘‘तुम्हें पसंद हैं न प्लीज, एक मेरे कहने से ले लीजिए.’’
अशोक ने हाथ के इशारे से मना भी किया, पर सुलभा ने वड़ा डाल कर तभी चाउमिन का डोंगा उठा लिया.
सुलभा का पति अशोक नरेंद्र से बोला, ‘‘सुलभा को पता है कि तुम्हें क्या पसंद है. इसे दूसरों को उन की पसंद का खाना खिला कर बड़ा संतोष मिलता है. तुम से क्या बताऊं. इसे जाने कैसे पता लग जाता है. सभी को इस का बनाया खाना पसंद आता है. मेरी ब्रैड का क्या इस ने आदर नहीं किया.’’
कोविड के बाद से अशोक ने खाना बनाना शुरू कर दिया था पर वह ब्रैड, पिज्जा और बेक्ड पर ही ज्यादा जोर देता था. जब से किचन में घुसने लगा है तब से सुलभा को लगने लगा है कि उस का एकछत्र राज चला गया है. हालांकि ज्यादा खाना किचन हैल्प शंकर बनाता है पर अभी 15 दिन से वह गांव गया हुआ है इसलिए हम दोनों बना रहे हैं और किचन में भी हमारा कंपीटिशन चलता है.
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