दफ्तर की कुरसी पर अपने फूले हुए पेट के साथ मास्क लगा कर बैठना उस के लिए बहुत मुश्किल था. उस का मन अब काम में नहीं लगता था. एक दिन वहीं बैठेबैठे उसे खयाल आया कि क्यों न वह ‘वर्क फ्रोम होम’ के लिए अप्लाई कर दे.
आखिर जो काम वह अपने केबिन में बैठ करती है वह घर से भी कर सकती है और फिर अगर किसी क्लाइंट से मिलना हो तो जूम से बात कर सकती है. अब तो पूरी दुनिया ही औनलाइन काम करने लगी है.
उसे यह विचार बहुत अच्छा लगा. जल्द से जल्द वह घर से ही काम करना चाह रही थी.
उस ने एक ईमेल अपने बौस को भेज दिया और इस के जवाब में अगले दिन ही बौस ने उसे अपने दफ्तर में मिलने के लिए बुला लिया.
दोनों मास्क में थे. मौली को ‘गुडमौर्निंग’ कहते हुए मुसकराने की जहमत नहीं उठानी पड़ी. मास्क लगाने का यही एक सुख है.
बौस ने बिना लागलपेट के कहा, ‘‘नर्सिंगहोम में अभी सब से ज्यादा कर्मचारियों की आवश्यकता है और इस वक्त मैं छुट्टी नहीं दे सकता. अगर तुम दफ्तर नहीं आतीं तो तुम्हारी तनख्वाह कट जाएगी.’’
मौली ने उसे सम झाते हुए कहा, ‘‘लेकिन सर आप जानते ही हैं कि यह मेरा पहला बच्चा है और अगर मु झे कोरोना हो गया तो मेरे बच्चे का क्या होगा?’’
तुम्हें घबराने की जरूरत नहीं है. देखो, यह नैशनल रिपोर्ट आई है. इस के मुताबिक गर्भवती महिलाओं पर कोरोना का इतना असर नहीं पड़ता. ऐसा कोई प्रूफ अब तक नहीं मिला है कि इस से पेट में पलने वाले बच्चे को हानि हो सकती है इसलिए तुम बिलकुल मत घबराओ. तुम इस रिपोर्ट को अपने साथ ले जाओ और घर में आराम से पढ़ना.
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