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रेशमा गोदी में अपना बच्चा पकड़े एक तरफ खड़ी थी. ‘‘बैठो,’’ रेखा ऐसे बोली जैसे वह उस का घर हो और रेशमा उस की मेहमान हो.

झिझकते हुए रेशमा उस के सामने केन की कुरसी पर बैठ गई. काले रेशमी बाल, गोरा रंग... वह एक जवान व सुंदर औरत थी, मुश्किल से उस की उम्र 25-26 की लग रही थी.

एक लंबी सांस भरते हुए रेखा ने पूछा, ‘‘तुम्हें मालूम है कि मैं कौन हूं?’’

‘‘हां, मैं ने आप की फोटो देखी हुई है,’’ वह सिर झुकाए हुए बोली.

उस की गोदी में बच्चा रोने लगा था तो रेखा ने पूछा, ‘‘यह लड़का है?’’

‘‘हां.’’

रेखा अनायास ही सोचने लगी कि वह और रवि हमेशा दूसरे बच्चे की चाह में रहते थे. कभी रवि की संवेदनशील पोस्टिंग की वजह से उन के बीच विछोह बना रहा तो कभी यों ही...समय बीतता चला गया. ईशा 14 साल की हो गई और वह 40 की, जहां औरत को गर्भधारण करने से पहले काफी सोचना पड़ता है.

रेशमा धीरे से बोली, ‘‘मुझे मालूम है कि आप यहां क्यों आई हैं... आप जानना चाहती हैं कि मेरे रवि से...’’ कहते हुए उस की आंखें भर आईं. रेखा को उस पल लगा कि रवि केवल रेशमा का ही मर्द था, उस का अपना कोई नहीं.

‘‘वह बहुत अच्छे थे,’’ वह रुंधे स्वर में बोली. फिर बड़े तटस्थ भाव से अपनी कहानी सुनाने लगी...

‘‘हमारा परिवार असम व नागालैंड की सीमा पर दीमापुर जिले का रहने वाला था. पुलिस को हम पर शक था कि हमारा संबंध डीएचडी (डीमा हलीम डोगा) उग्रवादी गिरोह से है जिन का लक्ष्य डीमासा जनजातियों के लिए एक अलग राज्य बनाने का है.

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