बाहर की आवाज सुन कर ड्राइंगरूम में बैठे पल्लवी और रोहित के चेहरों पर घबराहट के भाव उभरे.
फ्लैट की मालकिन शिखा रसोई से निकल कर दरवाजा खोलने बढ़ गई. मन में चोर होने के कारण पल्लवी और रोहित के दिलों की धड़कनें पलपल बढ़ने लगीं.
शिखा फौरन बदहवास सी वापस लौटी और धीमी, उत्तेजित आवाज में उन्हें बताया कि विकास आया है.
‘‘ओह अब क्या करें?’’ अपने पति के आगमन की बात सुन कर पल्लवी का चेहरा पीला पड़ गया.
‘‘इतना मत डरो. हम उसे बताएंगे कि मैं शिखा का परिचित हूं, तुम्हारा नहीं,’’ खुद को संयत रखने का प्रयास करते हुए रोहित ने पल्लवी को बचाव का रास्ता सु?ाया.
‘‘तब मैं अंदर वाले कमरे में जा कर बैठती हूं,’’ कह पल्लवी ?ाटके से उठी और लगभग भागती हुई शिखा के शयनकक्ष में घुस गई.
अपनी घबराहट पर काबू पाने के लिए पल्लवी पलंग पर बैठ गहरीगहरी सांसें लेने लगी. ड्राइंगरूम से आ रही इन तीनों की आवाजें उसे साफ सुनाई दे रही थीं.
विकास से पल्लवी की शादी को अभी 3 महीने हुए थे. वह 2 दिनों के लिए मायके में रहने आईर् थी. विकास तो उसे शाम को साथ लिवा ले जाने के लिए आने वाला था. वह
जल्दी क्यों आ गया है, इस का कोई कारण पल्लवी की सम?ा में नहीं आया. वह यहां अपनी सब से पक्की सहेली शिखा के घर आई हुई है, यह जानकारी विकास को उस की मां ने ही दी थी.
रोहित पल्लवी का विवाहपूर्व का प्रेमी था. उस ने ही यहां शिखा के फ्लैट में उस से मिलने का कार्यक्रम बनाया था. विकास ने अचानक यहां पहुंच कर उस के पैरों तले से जमीन खिसका दी थी.
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