राइटर-  डा. अनिता राठौर मंजरी

मैं 21वीं मंजिल से लिफ्ट में चढ़ी और ग्राउंड फ्लोर का बटन दबा दिया. मैं ईवनिंग वाक पर लगभग इसी समय निकलती हूं. 20वीं मंजिल पर लिफ्ट रुकी एक सुंदर सी लंबी, गोरी और आकर्षक नैननक्श वाली प्यारी सी लड़की चढ़ी. उसे देख कर मन का पक्षी चहक उठा कि काश यह मेरी बहू बन जाए. पिछले 1 वर्ष से मैं पूरे जोरशोर से अपने आकर्षक एवं स्मार्ट इंजीनियर बेटे के लिए एक प्यारी सी बहू की तलाश में हूं. कुछ सोच कर उस से बोली, ‘‘बेटा, आप इसी टावर में रहते हो?’’

‘‘जी,’’ उस ने संक्षिप्त जवाब दिया और मोबाइल पर नजर गड़ा दी.

मुझे बहुत गुस्सा आया कि अजीब है बस जी कह दिया और मेरी बात को आगे बढ़ाने से पहले ही विराम दे दिया. ग्राउंड फ्लोर पर आते ही वह तेज कदमों से चल पड़ी. शायद वह भी वाक पर निकली थी. कानों में इयर फोन लगाए बातों में मशगूल हो गई. मैं ने भी वाक शुरू कर दी. वह आगेआगे और मैं पीछेपीछे. मु?ो एक पेड़ के फूल बहुत अच्छे लगते थे और रोज 5 मिनट वहां बैठ कर खुशबू का आनंद लेती थी. आश्चर्य वह भी उसी पेड़ के पास रुकी. फोन सुनते हुए खुशबू का मजा लिया. मेरा ध्यान पेड़ और उस के फूलों में कम लड़की की तरफ ज्यादा था. मैं चल पड़ी लेकिन वह देर तक फोन करती खड़ी रही. अब वह मेरे पीछे और मैं उस के आगे. मैं जानबू?ा कर पीछे नहीं देखा कि कहीं वह यह न सम?ो मैं उसे देख रही हूं.

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