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एक  दिन लेकिन हद ही हो गई. उस दिन अम्बा  मां के घर से लौटी ही थी, कि रात के आठ  बजे तक टेबल पर डिनर सर्व ना होने की फ़िजूल सी बात पर निनाद उस पर गुस्से से फट पड़ा और उस दिन निनाद का बेवजह गुस्से से चीखना चिल्लाना सुन अम्बा  का धैर्य जवाब दे गया. वह उल्टे पैरों वापस मां के घर चली आई. बहुत सोच विचार कर मां के यहां एक माह  रहने के बाद उसने निनाद को फोन करके कहा “निनाद, अब मैं यहां माँ के साथ ही रहूँगी. तुम्हारे घर नहीं लौटूंगी. मुझे तुमसे तलाक चाहिए.’’

अम्बा की यह बात सुनकर निनाद अतीव क्रोध से बिफर उठा. अम्बा की तलाक की मांग उसे अपने पौरुष पर प्रहार लगी. सो गुस्से से भड़कते हुए वह चिल्लाया, “शौक से रहो माँ के साथ.मैं भी तुम्हारे बिना मरा नहीं जा रहा. जब चाहोगी तलाक मिल जाएगा.’’

मन ही मन समझता था कि वह पत्नी के साथ ज्यादती कर रहा है लेकिन अपने पुरुषोचित, अड़ियल  और अहंवादी  स्वाभाव से मजबूर था.

अम्बा तलाक की कार्यवाही शुरू करने के लिए एक अच्छे वकील की तलाश में जुट गई थी. अम्बा को माँ के यहां आए तीन माह हो चले थे.तभी अम्बा को एक अच्छी महिला वकील मिल गई थी और वह उससे मिलने ही वाली थी कि तभी  उन्हीं दिनों लंदन में एक कॉन्फ्रेंस में दोनों को जाना पड़ा. कॉन्फ्रेंस अटेंड कर एक ही फ़्लाइट से वे दोनों अपने देश लौटे ही थे कि लंदन में कोरोना  के प्रकोप के चलते  अपने शहर के एयरपोर्ट पर निनाद को हल्का बुखार निकला. फिर हौस्पिटल में दोनों का कोरोना का टेस्ट हुआ और उसमें  दोनों कोरोना पॉजिटिव निकले

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