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अभी अभी कैथरीन और अभिजित में घमासान हो चुका था. अभिजित तैश में आ कर दरवाजा धड़ाम से बंद कर बाहर जा चुका था और कैथरीन चाय का खाली प्याला हाथ में थामे बुत बनी बैठी थी. उस का दिमाग एकदम सुन्न पड़ गया था. इस अप्रत्याशित प्रहार से वह एकदम बौखला गई थी. उस ने सपने में भी नहीं सोचा था कि अभि उसे यों छोड़ जाएगा. एक ही झटके में उस ने सारे रिश्तेनाते तोड़ दिए थे.

कैसी विडंबना थी कि जो व्यक्ति उस की मरजी के बिना एक कदम भी न उठाता था, वह उसे आज यों ठुकरा कर चला गया था. जो पुरुष उस के बिना एक पल भी नहीं रह पाता था, उसे अब उस की शक्ल तक देखना भी गवारा न था.

अभि में यह बदलाव धीरेधीरे आया था. पहले उस की दिनचर्या बदली थी.

‘‘डार्लिंग,’’ अभि ने कहा था, ‘‘हमारा रविवार का पिक्चर का प्रोग्राम कैंसिल. मुझे कुछ छात्रों के शोधकार्य जांचने हैं, उन का मार्गदर्शन करना है.’’

‘‘ठीक है,’’ उस ने सिर हिलाया. यह सब तो एक कालेज के प्रोफैसर की कार्यशैली में शामिल ही था. इस में कोई नई बात न थी.

फिर नित नए बहाने बनने लगे. आज स्टाफ मीटिंग है तो आज कुछ और.

इस पर भी उसे कोई शक नहीं हुआ. पर एक दिन उस ने अभिजित को रंगे हाथों पकड़ लिया. कैथरीन अपनी अमेरिकन सहेली डोरिस के साथ सुपर मार्केट में खरीदारी कर रही थी कि डोरिस ने उसे कोचते हुए कहा, ‘‘कैथी, उधर देख तेरा मियां बैठा है. वहां, उस कौफी शौप में. और यह उस के साथ कौन है भई? यह तो कोई स्टुडैंट दिखती है. पर इन्हें देखने से तो नहीं लगता कि ये पढ़ाईलिखाई की बातें कर रहे हैं. कैथी, मुझे तो कुछ दाल में काला नजर आता है. सच तो यह है कि मैं ने एक उड़ती हुई खबर सुनी थी कि तेरे पति का किसी छात्रा के साथ चक्कर चल रहा है. आज अपनी आंखों से देख भी लिया.’’

कैथरीन का चेहरा फक पड़ गया था.

‘‘कैथी, तू ने गौर किया किस तरह ये दोनों दीनदुनिया से बेखबर, एकदूसरे की आंखों में आंखें डाले ऐसे बातें कर रहे हैं जैसे पे्रमी हों. मुझे तो आसार अच्छे नजर नहीं लगते. कैथी, तू अपने पति की लगाम कस कर रख, नहीं तो बाद में पछताना पड़ेगा.’’

कैथरीन गुस्से से होंठ चबाते हुए बोली, ‘‘आने दो अभि को घर पर. आज उस की ऐसी खबर लूंगी कि जिंदगी भर याद रखेगा. उसे अपने पद की गरिमा का भी खयाल नहीं. इस तरह खुलेआम, दिनदहाड़े अपनी छात्रा के साथ रोमांस लड़ाने का क्या मतलब?

‘‘आज मैं ने तुम्हें नौर्थ मौल में देखा. वह लड़की कौन थी जिस के साथ तुम बैठे कौफी पी रहे थे?’’ कैथरीन ने सवाल दागा.

अभि चौकन्ना हो गया, ‘‘वह तो सुहानी है मेरी एक स्टुडैंट. शोधकार्य कर रही है और जबतब मुझ से मदद मांगने आ जाती है.’’

‘‘लेकिन यह काम कालेज में या अपने घर में भी तो हो सकता है. तुम जानते हो पब्लिक प्लेस में तुम्हें किसी लड़की के साथ देख कर लोग इस का गलत मतलब निकाल सकते हैं.’’

‘‘ओह,’’ अभि ने मुंह बिचकाया, ‘‘लोगों का क्या, उन्हें तो तिल का ताड़ बनाने में देर नहीं लगती और तुम भूल रही हो कि यह अमेरिका है, इंडिया नहीं. यहां लड़कालड़की साथ बैठे हों तो कोई परवाह नहीं करता.’’

‘‘सो तो है पर फिर भी हमें सावधानी बरतनी चाहिए ताकि किसी को उंगली उठाने का मौका न मिले?’’

वह खोदखोद कर अभि से सवाल पूछती रही. आखिर सचाई सामने आ ही गई.

‘‘अब असली बात सुन ही लो तो बेहतर है. मैं तुम्हें कई दिनों से बताना चाह रहा था और सही मौके की तलाश में था. मैं और सुहानी एकदूसरे को चाहते हैं. हम एकदूसरे के बिना नहीं रह सकते.’’

उसे एक झटका लगा.

‘‘यह क्या कह रहे हो अभि? यह क्या तुम्हारी प्यार करने की उम्र है?’’

‘‘प्यार करने की कोई उम्र नहीं होती,’’ अभि ने कहा.

‘‘ठीक है, पर जरा अपनी मानमर्यादा का तो खयाल करो. वह लड़की तुम से उम्र में करीब 20 साल छोटी है.’’

‘‘इस से क्या होता है?’’

‘‘अभि पागल न बनो,’’ उस ने उसे प्यार से समझाना चाहा.

पर अभिजित अपनी बात पर अड़ा रहा.

‘‘ठीक है,’’ कैथरीन ने मौके की नजाकत समझते हुए हथियार डाल दिए. उस ने स्थिति से समझौता करने की सोची, ‘‘मैं तुम्हारी भावनाओं की कद्र करती हूं. तुम उस लड़की के प्रति आकर्षित हो और वह भी तुम्हें शह दे रही है. हमारी शादी को 14 साल हो गए और हो सकता है कि तुम अपनी जिंदगी में कुछ नयापन चाह रहे हो. खैर, जो हुआ सो हुआ. मैं तुम्हारी इस क्षणिक कमजोरी को, इस गलती को नजरअंदाज करने के लिए तैयार हूं. अब यह नादानी छोड़ो और उस मुई सुहानी को अलविदा कह कर मेरे पास वापस आ जाओ.’’

‘‘नहीं, हम ने तय कर लिया है कि हम एकदूसरे के बिना नहीं रह सकते. मुझे तुम से तलाक चाहिए.’’

‘‘तलाक,’’ कैथरीन के दिमाग में जैसे एक हथौड़ा लगा. एकबारगी तलाक की मांग. तो मामला यहां तक पहुंच चुका है, उस ने सोचा.

‘‘अभि, यह तुम क्या कह रहे हो?’’ उस के होंठ थर्राए, ‘‘हम ने प्रेम विवाह किया था. इतने साल साथ बिताए हैं. क्या यह बात तुम्हारे लिए कोई माने नहीं रखती?’’

‘‘मैं तुम से बहस नहीं करना चाहता.

मैं तुम्हें सिर्फ इतना बताना चाहता हूं कि मेरा इरादा अटल है. मुझे तुम से तलाक चाहिए,

बस. मैं और सुहानी शादी के बंधन में बंधना चाहते हैं.’’

‘‘अभि,’’ उस के मुंह से एक हृदयविदारक चीख निकली पर अभि कहां पसीजने वाला था. कैथरीन के गिड़गिड़ाने और उस के आंसुओं का उस पर कोई असर नहीं हुआ. वह टुकुरटुकुर देखती रही और अभिजित एक छोटी अटैची में अपना सामान भर कर चला गया.

अब क्या करे वह? उस ने अपने से सवाल किया. इस देश में यह सब होता ही रहता था. रोज जोड़े बदलते हैं, मानो जुराब के जोड़े हों. शादी के बंधन की कोई मान्यता ही न थी. मन भर गया तो अलग हो गए. आज इस के साथ तो कल किसी और के साथ.

अब वह भी उस जमात में शामिल हो जाएगी. तलाकशुदा, परित्यक्ता, पति की ठुकराई हुई, अकेली, गतिहीन. एक बिना मस्तूल की नाव की तरह डूबतीउतराती…

कल तक उस की सखीसहेलियां उस से रश्क करती थीं. आपस में बातें करते हुए वे कहतीं, ‘‘कितना सीधा पति मिला है कैथरीन को. उस के इशारों पर नाचता है. सब से बड़ी बात यह कि वह कैथी को छोड़ किसी और की तरफ देखता भी नहीं. भई कैथरीन, हमें भी यह गुर बताओ कि अपने पति को कैसे वश में रखा जाता है?’’

कैथरीन हंस देती, ‘‘मेरा मियां शादी से पहले अपनी मां का पल्लू थामे रहता था. अब मेरे आंचल से बंधा हुआ है.’’

वे सब ठहाका लगा कर हंसतीं और कैथरीन फूली न समाती. पर पलक झपकते ही उस का नीड बिखर गया था. उस के सपनों का महल ताश के पत्तों सा भरभरा कर गिर गया था.

अब क्या करे वह? इंडिया चली जाए? पर वहां उस के लिए कौन बैठा था. एक मां थी, जो कभी की चल बसी थी और ससुराल में उस के लिए कोई जगह न थी. उसे अभि के शब्द याद आए, ‘मैं सुहानी के बिना जी नहीं सकता.’ वह विद्रूप सी हंसी हंसी. यही सब तो अभि ने एक दिन उस से भी कहा था.

कैथरीन अचानक पिछली यादों में खो गई. वह उस समय सुहानी की उम्र की ही थी. कालेज में पहले ही दिन उस की सहेलियों ने उस से कहा, ‘तुझे खुश होना चाहिए कि तू इंगलिश में औनर्स कर रही है और तेरा प्रोफैसर है अभिजित अय्यर.’

‘क्यों, कोई तोप है वह?’ उस ने लापरवाही से कहा.

‘अरे तू उसे देख लेगी तो अपने होश खो बैठेगी. कितना हैंडसम है वह.’

‘फिल्म स्टार है क्या?’

‘अरी, फिल्म स्टार से भी बढ़ कर है. फिल्म स्टार में सिर्फ शक्ल होती है. इस में शक्ल और अक्ल दोनों हैं. कालेज की लड़कियां उस के आगेपीछे मंडराती हैं पर वह है कि किसी को घास नहीं डालता.’

‘क्यों भला?’ उसे कुतूहल हुआ.

‘क्या बताएं, बड़ा ही रूखा है. एकदम नीरस, घुन्ना. बस यों समझो कि किताबी कीड़ा है. नाक की सीध में क्लास में आता है और पढ़ा कर चला जाता है. न किसी से लेना न देना. किसी लड़़की की ओर ताकता भी नहीं.’

‘अच्छा.’

‘हां, हम सब कोशिश कर के हार गईं, किसी को लिफ्ट नहीं देता. बड़ी टेढ़ी खीर है.’

‘अभी उस का पाला कैथरीन नामक लड़की से नहीं पड़ा है,’ वह मुसकरा कर बोली.

‘अच्छा जी, इतना गुमान है अपने रंगरूप पर? मैं शर्त बदती हूं कि तू उसे डिगा नहीं सकेगी. मुंह की खाएगी और अपना सा मुंह ले कर आएगी,’ शीला ने कहा.

‘लगी शर्त. मैं दावे से कहती हूं कि फर्स्ट ईयर खत्म होतेहोते प्रोफैसर साहब मेरी जेब में होंगे. अगर जीत गई तो तुम्हें मुझे ताज होटल में दावत देनी होगी.’

‘और अगर ऐसा नहीं हुआ तो?’

‘तो मैं तुम लोगों को चौपाटी पर चाट खिलाऊंगी.’

‘डन,’ उन्होंने परस्पर हाथ मिलाया.

अब ‘औपरेशन अय्यर’ शुरू हुआ. कैथरीन जानबूझ कर अभिजित का ध्यान अपनी तरफ खींचने का प्रयास करती. वह क्लास में कोई सवाल पूछता तो झट अपना हाथ उठा देती. उस के सवालों का उलटापुलटा जवाब देती. बाकी विद्यार्थी हंसते और अय्यर खिसियाता. उसे अपने चश्मे के अंदर से घूरता. क्लास में देर से आती ताकि अभिजित का ध्यान उस की तरफ खिंचे. जब उस ने सुना कि अभिजित शेक्सपीयर के एक नाटक का निर्देशन करने वाला है, तो झट नाटक में भाग लेने पहुंच गई. उस के बाद वह उस के पास जबतब अपने प्रश्नों के समाधान के लिए पहुंच जाती.

एक दिन उस ने केक का डब्बा आगे बढ़ाते हुए कहा, ‘लीजिए सर.’

‘यह क्या है?’

‘आज मेरा जन्मदिन है. यह मेरी मां का बनाया हुआ केक है, जो उन्होंने गोवा से भेजा है और मैं आप के लिए लाई हूं.’

‘ओह धन्यवाद,’ उस ने केक का टुकड़ा मुंह में भर लिया.

दूसरे दिन वह गेट के बाहर निकली तो अभिजित ने उसे अपनी खटरा कार से आवाज दी, ‘सुनिए मिस कैथरीन.’

कैथरीन ने चौंकने का नाटक किया, ‘ओह सर आप हैं. कहिए, मुझ से कोई काम था?’

‘हां, मैं तुम्हारे लिए फूल लाया था,’

उस ने गुच्छा आगे किया, ‘तुम्हारे जन्मदिन का तोहफा.’

‘ओह,’ वह हर्ष से किलकी, ‘कितने सुंदर फूल हैं, वे भी लाल गुलाब के, जो मुझे बेहद पसंद हैं.’

‘क्या मैं आप को कहीं ड्रौप कर सकता हूं?’ अभि ने झिझकते हुए कहा.

‘ओह शुक्रिया सर, पर आप को मेरी वजह से परेशानी होगी. मैं मरीन ड्राइव पर लेडीज होस्टल में रहती हूं.’

‘मैं मलाबार हिल पर रहता हूं. आप को रास्ते में छोड़ता चला जाऊंगा.’

‘ओह मलाबार हिल तो बड़ा शानदार एरिया है. वहां चीफ मिनिस्टर की कोठी और उद्योगपतियों के बंगले हैं.’

‘हां, उन्हीं बंगलों के बीच मेरा किराए का मकान है, जो जीर्णशीर्ण और शायद 100 साल पुराना है. गगनचुंबी, चमचमाती इमारतों के बीच एक धब्बे जैसा. उस में मेरे बाप दादा आ कर बस गए थे. मैं अपने सम्मिलित परिवार के साथ वहां रहता हूं.’

‘सम्मिलित परिवार के माने…?’

‘मैं, मेरे मातापिता, मेरी 2 छोटी बहनें, एक विधवा बूआ, उन के 2 बेटे, एक दादी व एक नानी.’

‘इतने सारे लोग एकसाथ,’ उस ने अपना सिर थाम लिया. ‘मेरा मतलब, मुझे देखिए सर मेरा इस दुनिया में एक मां को छोड़ कर और कोई नहीं है. भाईबहन का न होना मुझे बहुत खलता है.’

‘क्या तुम कभी मेरे परिवार से मिलना चाहोगी?’

‘अवश्य, जब आप कहें… यहां गाड़ी रोक लीजिए. इन फूलों के लिए अनेक धन्यवाद. बाई द वे सर क्या आप जानते हैं कि लाल गुलाब प्यार का प्रतीक होता है?’

‘अच्छा? यह बात मैं नहीं जानता था.’

‘हां, लाल गुलाब खासकर उन्हीं लोगों को दिया जाता है, जिन के लिए मन में प्यार हो मसलन प्रेयसी या पत्नी.’

वह उस की ओर विमूढ़ सा देखता रह गया. कैथरीन खिलखिलाते हुए होस्टल के गेट के अंदर दाखिल हो गई. उस की सहेलियों ने उसे ताज होटल में खाना खिलाया और बीए की परीक्षा पास कर के वह निकली तो दीक्षांत समारोह के दिन उस के एक हाथ में कालेज की डिगरी थी और दूसरे हाथ की उंगली में अभिजित की दी हुई सगाई की अंगूठी झिलमिला रही थी.

पहला झटका उसे तब लगा जब उस ने जाना कि अभि के मातापिता उन दोनों की शादी के खिलाफ हैं.

‘क्या इस पूरे शहर में तुझे इसे छोड़ और कोई लड़की नहीं मिली?’ मांबाप ने लताड़ा, ‘हम उच्च कोटि के ब्राह्मण हैं और वह क्रिश्चियन. कैसे जमेगा? हमारे खानपान, रहनसहन में जमीनआसमान का अंतर है.’

अभि ने अपने पिता को किसी तरह समझाबुझा लिया था पर मां अड़ के बैठी थीं. ‘अरे सिर्फ सुंदर और पढ़ीलिखी होने से क्या होता है,’ उन्होंने बहस की थी, ‘शादी के लिए लड़की का कुल, गोत्र और खानदान देखा जाता है, कुंडलियां मिलाई जाती हैं. क्या हम नहीं जानते कि ईसाई लोग क्या हैं. ये पिछड़ी जाति के लोग पहले अंगरेजों के यहां बैरा और बावर्ची का काम किया करते थे. फिर बपतिस्मा पढ़ कर ईसाई बन कर अंगरेजों के बराबर कुरसी पर जा डटे. इन्हें हम काले साहब कहा करते थे पर ये लोग अपने को अंगरेजों से कम नहीं समझते थे.’

यह सब कैथरीन ने सुना तो तिलमिला कर बोली, ‘अपनी मां से कहो कि मेरे दादा अंगरेज थे और मेरी दादी ब्राह्मण. उन का प्रेम विवाह हुआ था. मेरी मां के पूर्वज पुर्तगाली थे.’

‘छोड़ो यह सब. इन बातों से मुझे कोई फर्क नहीं पड़ता. मैं ने मां से साफ कह दिया कि मैं शादी करूंगा तो केवल तुम से. आखिर मैं अपनी मां का इकलौता लाड़ला बेटा हूं और यह घर भी मेरी बदौलत चलता है, इसलिए मां को मेरी बात माननी ही पड़ी.’

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