‘यह सब क्या है?’ अभिजित ने पूछा. ‘अभि,’ उस की आंखों से आंसू बह निकले, ‘मैं ने तुम्हें बताया तो था कि मेरा बौस बेहूदा हरकतें करता रहता है. आज वह सारी हदें पार कर गया.’
‘यह खबर और तुम्हारी शक्ल आज सैकड़ों लोगों ने टीवी पर देखी होगी. मेरी तो इज्जत उतर गई. मैं किसी को मुंह दिखाने के काबिल नहीं रहा. कल कालेज में लोग तुम्हारे बारे में उलटेसीधे सवाल करेंगे तो मैं क्या जवाब दूंगा?’ अभि ने अपना सिर थाम लिया.
कुछ देर बाद उस ने कहा, ‘जाहिर है, मैं अब यहां नौकरी नहीं कर सकता. मुझे अमेरिका से एक औफर आया है विजिटिंग प्रोफैसर की जौब के लिए, हम वहीं चलेंगे.’
‘और तुम्हारा परिवार?’
‘मैं उन्हें हर महीने पैसे भेजता रहूंगा और साल में एक बार आ कर उन की खोजखबर लेता रहूंगा.’
प्लेन में बैठी कैथरीन बहुत खुश हो रही थी. उस ने अपने मन की मुराद पा ली थी. वह अपनी ससुराल के घुटन भरे माहौल से निकल आई थी. उस ने अभि को देखा, जो मुंह लटकाए बैठा था. उसे अपने घर वालों से बिछड़ने का बहुत दुख था. कैथरीन ने उस के कंधों को घेरते हुए उस की दिलजोई की, ‘उदास क्यों होते हो
डार्लिंग. तुम अपने परिवार के भले के लिए ही तो विदेश जा रहे हो. अमेरिका में मैं भी कोई नौकरी कर लूंगी. हम दोनों जन मिल कर कमाएंगे. मेरे पैसों से घर चलेगा और तुम अपने पैसे घर वालों के लिए जमा करते रहना.’
अभि ने उसे स्नेहसिक्त आंखों से देखा. फिर बोला, ‘तुम मेरे लिए यह सब करोगी?’
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