शादी के बाद दीपक ने बड़ीबड़ी बातें की थीं. एकडेढ़ वर्ष तो घूमने, सैरसपाटे और विवाहित जीवन का आनंद लेने में कैसे बीता था, इस का पता भी नहीं चला था.
शादी के बाद शेफाली को कई नए रिश्ते भी मिले थे. सासससुर, देवर और ननद जैसे रिश्ते. शादी के करीब 2 वर्ष बाद शेफाली के जीवन में आसमानी परी की तरह आई थी नन्ही शिखा.
बेटी को जन्म देने के बाद शेफाली उस की जिम्मेदारियों के साथ बंध गई थी.
इस के साथ ही जीवन काफी हद तक यथार्थ के धरातल पर भी उतरने लगा था.
यथार्थ के धरातल पर उतरने के बाद बड़ीबड़ी बातें करने वाले दीपक के अंदर का असली इनसान भी सामने आने लगा. उस ने शादी के बाद जैसा दिखने की कोशिश की थी वह वैसा नहीं था. काफी वहमी और शक्की स्वभाव था उस का. छोटीछोटी बातों को ले कर शेफाली से उलझना उस की आदत थी.
दीपक के अंदर के इनसान से परिचय होने के बाद शेफाली का जीवन बदरंग होने लगा था, सपने बिखरने लगे.
दीपक के अप्रत्याशित रवैए से शेफाली के जीवन में जो रिक्तता उत्पन्न हुई, उसे उस ने दूसरे रिश्तों से भरने की कोशिश की थी.
मगर शेफाली की यह कोशिश भी वहमी और शक्की स्वभाव वाले दीपक को पसंद नहीं आई. इस से उन के दांपत्य संबंधों में तनाव बढ़ता गया था.
इस बढ़ते तनाव के बीच कुछ ऐसा भी घट गया था, जिस के बाद शेफाली को लगा था कि अब उस का दीपक जैसे इनसान के साथ रहना मुश्किल था. उसे उस से अलग हो जाना चाहिए.