बरखा खूबसूरत भी थी और खुशमिजाज भी. पहले ही दिन से उस ने अपने हर सहयोगी के दिल में जगह बना ली. सब से पक्की सहेली वह अनिता की बनी क्योंकि हर कदम पर अनिता ने उस की सहायता की थी. जब भी फालतू वक्त मिलता  दोनों हंसहंस कर खूब बातें करतीं.

उन दिनों अनिता का प्रेमी संजीव 15 दिनों की छुट्टी पर चल रहा था. इन दोनों की दोस्ती की जड़ों को मजबूत होने के लिए इतना समय पर्याप्त रहा.

संजीव के लौटने पर अनिता ने सब से पहले उस का परिचय बरखा से कराया.

‘‘क्या शानदार व्यक्तित्व है तुम्हारा, संजीव,’’ बरखा ने बड़ी गर्मजोशी के साथ जब संजीव से हाथ मिलाया तब ये तीनों अपने सारे सहयोगियों की नजरों का केंद्र बने हुए थे.

‘‘थैंक यू,’’ अपनी प्रशंसा सुन संजीव खुल कर मुसकराया.

‘‘अनिता, इतने स्मार्ट इंसान को जल्दी से जल्दी शादी के बंधन में बांध ले, नहीं तो कोई और छीन कर ले जाएगी,’’ बरखा ने अपनी सहेली को सलाह दी.

‘‘सहेली, तेरे इरादे तो नेक हैं न?’’ नाटकीय अंदाज में आंखें मटकाते हुए अनिता ने सवाल पूछा, तो कई लोगों के सम्मिलित ठहाके से हौल गूंज उठा.

पहले संजीव और अनिता साथसाथ अधिकतर वक्त गुजारते थे. अब बरखा भी इन के साथ नजर आती. इस कारण उन के  सहयोगियों को बातें बनाने का मौका मिल गया.

‘‘ये बरखा बड़ी तेज और चालू लगती है मुझे तो,’’ शिल्पा ने अंजु से अपने मन की बात कह दी थी, ‘‘वह अनिता से ज्यादा सुंदर और आकर्षक भी है. मेरी समझ से भूसे और

चिंनगारी को पासपास रखना अनिता की बहुत बड़ी मूर्खता है.’’

आगे की कहानी पढ़ने के लिए सब्सक्राइब करें

डिजिटल

(1 साल)
USD48USD10
 
सब्सक्राइब करें

डिजिटल + 24 प्रिंट मैगजीन

(1 साल)
USD100USD79
 
सब्सक्राइब करें
और कहानियां पढ़ने के लिए क्लिक करें...