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कोमल अनिल को पति के रूप में पा कर खुश थी. कोमल के मधुर और शिष्ट व्यवहार ने अनिल को बहुत प्रभावित किया. वह कोमल को दिल से प्यार करने लगा. उसे साफ लगा कि उस परिवार में जाति को ले कर सवाल ही नहीं उठते थे. लेकिन अब भी मोहिनी का जादू उस पर चढ़ा रहता.

कोमल को सपने में भी अंदाजा नहीं था कि उस की अनुपस्थिति में प्यार का कैसा खेल चलता है. वह अकेली मां का बहुत ध्यान रखती और यह देख कर खुश करती कि अनिल और मोहिनी के संबंधों में बहुत अपनापन है. मन ही मन सोचती चलो, मां को दामाद के रूप में एक बेटा मिल गया. वह बहुत संतुष्ट रहती.

इसी बीच एक दिन मोहिनी घर के सामने की सड़क के उस पार बने घर के सामने से गुजरते हुए रुक गई, यह घर काफी दिनों से बंद पड़ा था और आज ट्रक से किसी का सामान उतर रहा था. उस की नजर एक पुरुष पर पड़ी जो सावधानी से सामान उतारने के निर्देश दे रहा था, मोहिनी ने अंदाजा लगाया शायद यही लोग रहने आए है. अंदर से आती एक महिला को देख कर वह रुक गई. अपना परिचय दिया. उस ने भी मुसकरा कर मोेहिनी का अभिवादन करते हुए अपना नाम पुष्पा बताते हुए अपना परिचय देते हुए कहा, ‘‘ये मेरे पति सुधीर है. हमारा 1 ही बेटा है जो अमेरिका में पढ़ रहा है. हम दोनों ही पुणे में जौब करते हैं, अभी इन का ट्रांसफर यहां हो गया है. मैं भी अपना ट्रांसफर यहां करवाने की कोशिश कर रही हूं, अभी तो मैं घर सैट कर के चली जाऊंगी, वीकैंड पर ही आना हुआ करेगा.’’

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