लेखक- नृपेंद्र अभिषेक नृप
भोपाल के पंजाबी बाग में दीवा गर्ल्स जागृति की महिलाओं ने आज फिर से अपने चिरपरिचित अंदाज में किट्टी पार्टी का आयोजन किया. यह कोई साधारण पार्टी नहीं थी, यह तो मानो महिलाओं का महासंग्राम था जहां नोक?ांक, हंसीमजाक, डांस और गीतगानेबजाने का रंगारंग प्रदर्शन होना तय था. जैसे ही घड़ी ने 4 बजाए सजीधजी महिलाएं सजावट की भव्यता को चार चांद लगाती हुई आ पहुंचीं.
मीनाजी सब से पहले आईं. उन के हाथ में बड़ा सा गुलदस्ता था जो उन की मर्मस्पर्शी मुसकान के साथ दमक रहा था.
‘‘वाह मीनाजी, आप तो हमेशा फूलों की तरह खिला करती हैं,’’ सविताजी ने मुसकराते हुए कहा.
मीनाजी ने हंसते हुए जवाब दिया, ‘‘क्या करें सविताजी, हमें तो हर महीने यह किट्टी का बहाना चाहिए मिलने के लिए.’’
जल्द ही सभी महिलाएं वहां उपस्थित हो गईं और पार्टी का उद्घाटन हुआ. सब से पहले रीताजी ने जोरदार आवाज में कहा, ‘‘चलिए बहनो, आज की इस खास किट्टी पार्टी का आगाज करते हैं एक छोटे से खेल से.’’
खेल का नाम सुनते ही सुमनजी तपाक से बोलीं, ‘‘खेल के साथसाथ थोड़ा नाचगाना भी हो जाए, आखिर हमारी भी तो एक ख्वाहिश है क्योंकि हम भी किसी डांसिंग क्वीन से कम नहीं हैं.’’
रीताजी ने हंसते हुए जवाब दिया, ‘‘बिलकुल सुमनजी, आज तो पूरा मैदान आप का है, लेकिन पहले खेल. इस खेल का नाम है ‘सत्य और चुनौती.’’’
सत्य और चुनौती सुनते ही सभी के चेहरों पर शरारती मुसकान फैल गई.
खेल का आरंभ हुआ और सब से पहले बारी आई रजनीजी की. रजनीजी को चुनौती दी गई कि वे गीत गा कर दिखाएं. रजनीजी ने बिना किसी झिझक के तुरंत ‘चुरा लिया है तुम ने...’ गीत शुरू कर दिया. उन की मधुर आवाज ने सब को मंत्रमुग्ध कर दिया.
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