कौलबेल की आवाज से रितेश अचानक जैसे नींद से जागा. वह 4 दिन पहले मनाए वेलैंटाइन डे की मधुर यादों में खोया हुआ था. उस की यादों में थी मीनल, जिस के साथ वह सुनहरे भविष्य के सपने संजो रहा था. वह बेमन से उठा, दरवाजा खोला तो कोरियर वाला था. उस ने साइन कर लिफाफा ले लिया, भेजने वाले का नामपता स्पष्ट नहीं दिख रहा था, फिर भी उस ने उत्सुकता से लिफाफा खोला तो कई सारे फोटो लिफाफे में से निकल कर उस के कमरे में बिखर गए. फोटो देखते ही वह जड़ सा हो गया. फोटो उस के और मीनल के प्रेम संबंधों को स्पष्ट बयान कर रहे थे. आलिंगनरत, चुंबन लेते हुए, हंसतेबोलते ये चित्र वेलैंटाइन डे के थे. 4 दिन पहले की ही तो बात है, जब वह मीनल को ले कर लौंग ड्राइव पर निकला था, शाम की हलकी सुरमई चादर धीरेधीरे फैल रही थी, घनी झाडि़यां देख कर उस ने कार सड़क पर ही रोकी और मीनल को ले कर घनी झाडि़यों के पीछे चला गया.

ओह, यह किस ने किया, कब कर दिया. लिफाफे  के साथ एक छोटा सा कागज भी था जिस पर लिखा था कि अगर तुम चाहते हो कि ये फोटो फेसबुक पर न डाले जाएं, तो इस बैंक अकाउंट में 2 लाख रुपए कल शाम तक जमा हो जाने चाहिए.

रितेश तनावग्रस्त हो चुका था, अभी उस की और मीनल की शादी होने में भी 2-3 साल लग सकते थे. मीनल की पढ़ाई अभी खत्म नहीं हुई थी, उस को स्वयं पढ़ाई खत्म कर के घर वालों से मीनल के संबंध में बात करनी थी, लेकिन यह समस्या बीच में कहां से आ गई. अब मैं क्या करूं? क्या मीनल को बता दिया जाए, नहींनहीं कहीं वह टैंशन में आ कर कुछ गलत कदम न उठा ले.

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