लेखिका- मनजीत शर्मा ‘मीरा’
विश्वविद्यालय के हिंदी विभाग में, दिन का अंतिम पीरियड प्रारंभ होने ही वाला था कि अचानक माहौल में तनाव छा गया. स्पीड पोस्ट से डाकिया सभी 58 छात्रछात्राओं व प्रोफैसरों के नाम एक पत्र ले कर आया था. तनाव की वजह पत्र का मजमून था. कुछ छात्रों ने वह लिफाफा खोल कर अभी पढ़ा ही था कि प्रोफैसर मजूमदार ने धड़धड़ाते हुए कक्षा में प्रवेश किया. उन के हाथ में भी उसी प्रकार का एक लिफाफा था. आते ही उन्होंने घोषणा की, ‘‘प्लीज, डोंट ओपन द ऐनवलप.’’
अफरातफरी में उन्होंने छात्रछात्राओं से वे लिफाफे लगभग छीनने की मुद्रा में लेने शुरू कर दिए, ‘‘प्लीज, रिटर्न मी दिस नौनसैंस.’’ वे अत्यधिक तनाव में नजर आ रहे थे, लेकिन तब तक 8-10 छात्र उस पत्र को पढ़ चुके थे.
अत्यंत परिष्कृत अंगरेजी में लिखे गए उस पत्र में बेहद घृणात्मक टिप्पणियां छात्रछात्राओं के आपसी संबंधों पर की गई थीं और कुछ छात्राओं के विभागाध्यक्ष डाक्टर अमितोज प्रसाद, कुलपति डाक्टर माधवविष्णु प्रभाकर और प्रोफैसर मजूमदार से सीधेसीधे जोड़ कर उन के अवैध संबंधों का दावा किया गया था. पत्र लेखक ने अपनी कल्पनाओं के सहारे कुछ सुनीसुनाई अफवाहों के आधार पर सभी के चरित्र पर कीचड़ उछालने की भरपूर कोशिश की थी. हिंदी साहित्य की स्नातकोत्तर कक्षा में इस समय 50 छात्रछात्राओं के साथ कुल 6 प्राध्यापकों सहित विभागाध्यक्ष व कुलपति को सम्मिलित करते हुए 58 पत्र बांटे गए थे. 7 छात्र व 5 छात्राएं आज अनुपस्थित थे जिन के नाम के पत्र उन के साथियों के पास थे.
सभी पत्र ले कर प्रोफैसर मजूमदार कुलपति के कक्ष में चले गए जहां अन्य सभी प्रोफैसर्स पहले से ही उपस्थित थे. इधर छात्रछात्राओं में अटकलबाजी का दौर चल रहा था. प्रोफैसर मजूमदार के जाते ही परिमल ने एक लिफाफा हवा में लहराया, ‘‘कम औन बौयज ऐंड गर्ल्स, आई गौट इट,’’ उस ने अनुपस्थित छात्रों के नाम आए पत्रों में से एक लिफाफा छिपा लिया था. सभी छात्रछात्राएं उस के चारों ओर घेरा बना कर खड़े हो गए. वह छात्र यूनियन का अध्यक्ष था, अत: भाषण देने वाली शैली में उस ने पत्र पढ़ना शुरू किया, ‘‘विश्वविद्यालय में इन दिनों इश्क की पढ़ाई भी चल रही है...’’ इतना पढ़ कर वह चुप हो गया क्योंकि आगे की भाषा अत्यंत अशोभनीय थी.