विवाह से पहले जब हमें पता चला था कि हमारी होने वाली पत्नी डाइटीशियन यानी आहार विशेषज्ञा हैं, तो उन की इस योग्यता को हम ने सामान्य अर्थ में लिया था. हम खुश थे कि आहार विशेषज्ञा के आने से हमारे वृद्ध मातापिता के लिए अतिरिक्त सुविधा हो जाएगी. उन्हें घर बैठे ही पता चल जाएगा कि भोजन में क्याक्या लेना है तथा किन चीजों से परहेज करना है. किनकिन चीजों के सेवन करने से उन्हें नुकसान हो सकता है तथा क्याक्या चीजें उन के भोजन में शामिल होनी चाहिए. साथ ही हम ने यह भी सोचा था कि इन से विवाह के बाद हमारे भोजन में भी गुणवत्ता आ जाएगी. इन बातों के अलावा और भी ऐसी ही ढेर सारी बातें हम ने सोची थीं. यों समझिए कि उन दिनों डाइटीशियन से शादी को ले कर हम ढेरों सपने देखा करते थे.
फिर वह दिन आ ही गया जब हमारी उन के साथ शादी हो गई. नईनवेली वधू को ले कर हमें बहुत उत्साह था. उन दिनों हमारे पैर जमीन पर नहीं पड़ रहे थे. हमें लगता था कि हम इस दुनिया के सब से अधिक सौभाग्यशाली पुरुष हैं, जिसे इतनी अच्छी तथा गुणवान पत्नी का सान्निध्य प्राप्त हुआ है. यह सब सोचते हुए हम अपने सासससुर के प्रति कृतज्ञता से भर उठते, जिन्होंने अपनी आंखों की पुतली की हमारे साथ शादी कर हमारे जीवन को धन्य कर दिया.
शादी के बाद हंसीखुशी के माहौल में हमारा समय गुजरता जा रहा था, लेकिन एक पुरानी कहावत है कि अच्छे दिनों को गुजरने में ज्यादा समय नहीं लगता. तो हमारे भी अच्छे दिनों का अंत एक दिन आ ही गया. हमारी खुशियों को हम से जलने वालों की नजर लग ही गई. एक रविवार की सुबह जब हम सो कर उठे, तो हमारी नवविवाहिता ने हम से कहा, ‘‘जानते हैं, इन दिनों आप की तोंद बाहर निकलने लगी है. आप का शरीर बेडौल लगने लगा है. इतनी कम उम्र में यह सब होना कोई अच्छी बात नहीं है. आप को पता है, इस सब के पीछे क्या कारण है?’’