ज्ञान विद्रोह भी है. ज्ञान की निरंतर प्राप्ति से आदमी ने नएनए आविष्कार किए और करता जा रहा है. साथ ही, जल्दी मरण न आए, इस के लिए भी तरहतरह के प्रयास कर रहा है. नियमित दिनचर्या में लोग योग को अपना रहे हैं. योग के आसनों का महत्त्व है. लेकिन दिल्ली के रामलीला मैदान में आधी रात को भगदड़ मची तो लोगों ने देखा कि रामदेव मंच से कूद पड़े और जनता के बीच पहुंच गए.
रामदेव के कूदने को लोगों ने ‘कूदासन’ नाम दे दिया. इसे मजाक या व्यंग्य कुछ भी कहें, दरअसल, रामदेव को कूद कर जनता के बीच जाना जरूरी था. एक तो जनता को समझाना था और दूसरे, पुलिस से बचना था.
खैर, काफी लंबी चटपटी न्यूज बनी. कहते हैं, रामदेव के योगासनों में एक आसन ‘कूदासन’ शामिल हो गया है. वैसे ‘कूदासन’ सैकड़ों वर्षों से जारी है. इतिहास में लिखा है कि राजपूत राजाओं की पत्नियां अपने पति की हार की खबर सुनते ही धधकती आग में कूद कर प्राण त्याग देती थीं.
सती प्रथा के तहत पति की मृत्यु के बाद पत्नी उस की जलती चिता में कूद पड़ती थी तो जुए और सट्टे के अड्डे पर पुलिस का छापा पड़ने पर जुआरी व सट्टेबाज नजदीकी नालों में कूद जाते हैं या भवन के ऊपर से कूदते नजर आते हैं. वैसे भी लोगों का उछलकूद करना, कूदना, दीवार फांदना, नदीनालों में कूदना सामान्य बात है. टैलीविजन पर प्रसारित हो रहे एक सीरियल में भाग लेने वाले युवकयुवतियों को तरहतरह से कूदनाफांदना पड़ता है. पैसा और शोहरत चाहिए तो जान को जोखिम में डालना ही पडे़गा. मकड़जाली व्यवस्था में हर चीज से वंचित करोड़ों लोगों को भी अपने विचारों, सपनों, विश्वास, मूल्यों की जरूरत है, जिस के लिए वे भी विभिन्न स्रोतों की खोज में रहते हैं, पर उन की प्रक्रिया उन के लिए बहुत कठिन है, कहें तो असंभव सी है. सो, ‘कूदासन’ को अपनाया गया.