श्रीमतीजीजब भी किसी हीरोइन को डौगी के साथ देखती हैं, तो उन के मुंह से आह निकल जाती है कि काश, उन के पास भी कोई विदेशी गबराझबरा डौगी होता. उस के साथ फोटो खिंचवातीं, सहेलियों पर रोब झाड़तीं और सुबहशाम वाकिंग पर जातीं.
एक दिन हम औफिस से घर पहुंचे, तो महल्ले की महिलाओं की बैठक जमी हुई थी और श्रीमतीजी दिल का दर्द बयां कर रही थीं.
‘‘अरे, आजकल तो डौगियों का जमाना है. एक से बढ़ कर एक विदेशी डौगी मिल रहे हैं. एक डौगी मुझे भी मिल जाए, तो मजा आ जाए. इन की भी अलग ही शान होती है.’’
सहेलियों के जाने के बाद श्रीमतीजी कोपभवन में चली गईं. हमें कोसते हुए रुदाली की तरह उन का रुदन शुरू हो गया.
‘‘अरे, मेरी शादी किस कंगाल से हुई है. एक भी डौगी नहीं है इस के पास... मेरी तो किस्मत फूट गई... शादी के पहले कितने अरमान थे डौगी के साथ घूमने के.’’
हम सोच रहे थे कि अरे, हम क्या किसी डौगी से कम हैं. जब से शादी हुई है श्रीमतीजी के आगेपीछे ही तो घूम रहे हैं. फिर भी अगले दिन हम औफिस से छुट्टी ले कर एक डौगी की तलाश में निकल पड़े.
अब सब से पहले हम ने डौगी बेचने वालों से जानकारी ली. तब मालूम हुआ कि डौगी की कीमत तो हजारों में है... और वह सब तो अपनी जगह है, उन को खिलानापिलाना भी डाइट चार्ट के अनुसार पड़ता है. भले ही खुद
भूखे रहें. इस के अलावा समयसमय पर डाक्टर से चैकअप भी कराना पड़ता है और टीके भी लगवाने पड़ते हैं, चाहे अपना इलाज न करवा पाएं. खुद गरमी या ठंड में पडे़ रहें, लेकिन डौगी के लिए कूलर और हीटर का इंतजाम करना ही पड़ता है. वैसे भी ये विदेशी डौगी बड़े नाजुक होते हैं. तुरंत कुम्हला जाते हैं.