Hindi Satire : ‘‘कल कंस्टिट्यूशन क्लब में महिलाओं की एक सभा है, फिर मौन धरना होगा. चलोगी न?’’
‘‘किस बात का धरना?’’ मैं ने जानना चाहा.
‘‘रहती कहां हो कुएं की मेढक? शहर और देश की हालत का कुछ ध्यान है या नहीं? बहुएं अपने पतियों को सुसाइड के लिए मजबूर कर रही हैं और हम चुपचाप बैठे देखते रहें? लड़के और उन की मांएं औरत जात हो कर इतना भी न करें?’’ शांता मुझे लताड़ने लगी.
‘‘पर धरने से क्या होगा? इस से सासबहुओं का या हसबैंडवाइफ का झगड़ा मिट तो नहीं जाएगा?’’
‘‘होगा तेरा सिर. आखिर सोशल अवेयरनैस भी कोई चीज है. यह काम औरतों के सिवा कौन करेगा?’’
इतनी डांट खा कर मेरी क्या मजाल थी जो मना करती. फिर दोपहर से दफ्तर बंक कर के जाने का अच्छा मसाला हाथ लग रहा था. उत्सुकता भी थी कि देखूं, वहां क्या होगा. अगले दिन शांता 2 बजे कार ले कर औफिस के नीचे आ गई.
कंस्टिट्यूशन क्लब के एक कमरे में झांक कर देखा. थोड़ी सी औरतें थीं. वे भी शायद हमारी तरह हांक कर लाई गई थीं. कमरा छोटा था पर चायकौफी मिल रही थी. आधेपौने घंटे बाद सोचा कि घूमफिर कर देखें कि कहीं गलत कमरे में तो नहीं आ गए. धत् तेरे की. आयोजन की तैयारियां तो दूसरी मंजिल के कमेटी रूम नंबर 12 पर हो रही थीं. वहां बड़ा सा बैनर भी लगा था. शांता भी बैठी थी.
शांता ने शिकायत की कि इतनी देर क्यों हुई. जब मैं ने बताया तो बोली थी कि सौरी, नहीं गई थी.
रूम में माइक टैस्टिंग चल रही थी.
आगे की कहानी पढ़ने के लिए सब्सक्राइब करें
डिजिटल

गृहशोभा सब्सक्रिप्शन से जुड़ेें और पाएं
- गृहशोभा मैगजीन का सारा कंटेंट
- 2000+ फूड रेसिपीज
- 6000+ कहानियां
- 2000+ ब्यूटी, फैशन टिप्स
डिजिटल + 24 प्रिंट मैगजीन

गृहशोभा सब्सक्रिप्शन से जुड़ेें और पाएं
- गृहशोभा मैगजीन का सारा कंटेंट
- 2000+ फूड रेसिपीज
- 6000+ कहानियां
- 2000+ ब्यूटी, फैशन टिप्स
- 24 प्रिंट मैगजीन