जल्द ही दोनों के परिवार वालों की रजामंदी मिल गई और अमन ने श्रद्धा से शादी कर ली.
शादी के बाद पहले दिन जब वह किचन की तरफ बढ़ी तो सास ने उस से कहा,
‘‘बेटा रिवाज है कि नई बहू रसोई में पहले कुछ मीठा बनाती है. जा तू हलवा बना ले. उस के बाद तु झे किचन में जाने की जरूरत नहीं पड़ेगी. बहुत सारे कुक हैं हमारे पास.’’
इस पर श्रद्धा ने बड़े आदर के साथ सास की बात का विरोध करते हुए कहा, ‘‘मम्मीजी, मैं कुक के बनाए तरहतरह के व्यंजनों के बजाय अपना बनाया हुआ साधारण पर हैल्दी खाना पसंद करती हूं. प्लीज, मु झ से किचन में काम करने का मेरा अधिकार मत छीनिएगा.’’
उस की बात सुन कर सास को कुछ अटपटा सा लगा. भाभियों ने भी भवें चढ़ा लीं. छोटी भाभी ने व्यंग्य से कहा, ‘‘श्रद्धा यह तुम्हारा छोटा सा घर नहीं है जहां खुद ही खाना बनाना पड़े. हमारे यहां बहुत सारे नौकरचाकर और रसोइए दिनरात काम में लगे रहते हैं.’’
बाद में भी घर में भले ही कुक तरहतरह के व्यंजन तैयार करते रहते, मगर वह अपने हाथों का बना साधारण खाना ही खाती और अमन भी उस के हाथ का खाना ही पसंद करने लगा था. अमन को श्रद्धा के खाने की तारीफें करता देख दोनों भाभियों ने भी अपने हाथों से कुछ आइटम्स बना कर अपनेअपने पति को रि झाने का प्रयास किया. फिर तो अकसर ही दोनों भाभियां किचन में दिखने लगी थीं.
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श्रद्धा भले ही अपना छोटा सा घर छोड़ कर बड़े बंगले में आ गई थी, मगर उस के रहने के तरीकों में कोई परिवर्तन नहीं आया था. उस ने अपने कमरे के बाहर वाले बरामदे में एक टेबलकुरसी डाल कर उसे स्टडी रूम बना लिया था. कंप्यूटर, प्रिंटर, टेबल लैंप आदि अपनी टेबल पर सजा लिए. अमन के कहने पर एक छोटा सा फ्रिज भी उस ने साइड में रखवा लिया. बरामदा बड़ा था और शीशे की खिड़कियां लगी थीं. वह बाहर का नजारा देखते हुए बहुत आराम से अपना काम करती. जब दिल करता खिड़कियां खोल कर हवा का आनंद लेती. बरामदे के कोने में 3-4 छोटे गमलों में पौधे भी लगवा दिए.
भले ही उस की अलमारियां लेटैस्ट स्टाइल के कपड़ों और गहनों से भरी हुई थीं, मगर वह अपनी पसंद के साधारण मगर कंफर्टेबल कपड़ों में ही रहना पसंद करती थी.
शानदार बाथ टब होने के बावजूद वह शावर के नीचे खड़ी हो कर नहाती. तरहतरह के शैंपू होने के बावजूद मुलतानी मिट््टी से बाल धोती. कभी हेयर ड्रायर या अन्य ऐसी चीजों का इस्तेमाल नहीं करती.
घर में कई सारी कीमती गाडि़यों के होते हुए भी वह पहले की तरह बस से औफिस आतीजाती रही. बस स्टैंड पर उतर कर 10 मिनट वाक कर के औफिस पहुंचने की आदत बरकरार रखी.
पहले दिन जब वह बस से औफिस जा रही थी तो तुषिता ने टोका, ‘‘भाभी, हमारे घर में इतनी गाडि़यां हैं. कोई क्या कहेगा कि इतने बड़े खानदान की नईनवेली बहू बस से औफिस जा रही है.’’
‘‘तुषि में बस से औफिस मजबूरी में नहीं जा रही हूं, बल्कि इसलिए जा रही हूं ताकि मेरी दौड़नेभागने और वाक करने की आदत बनी रहे. बचपन से ही मु झे शरीर को जरूरत से ज्यादा आराम देने की आदत नहीं रही है. वैसे भी बस में आप 10 लोगों से इंटरैक्ट करते हो. आप का प्रैक्टिकल नौलेज बढ़ता है. इस में गलत क्या है?’’
‘‘जी गलत तो कुछ नहीं,’’ मुंह बना कर तुषिता ने कहा और अंदर चली गई.
श्रद्धा ने अपने कमरे में से तमाम ऐसी चीजें निकाल कर बाहर कर दीं जो केवल
शो औफ के लिए थीं या लग्जरियस लाइफ के लिए जरूरी थीं. जब श्रद्धा अपने कमरे से कुछ सामान बाहर करवा रही थी तो सास ने सवाल किया, ‘‘यह क्या कर रही हो बहू?’’
‘‘मम्मीजी मु झे कमरा खुलाखुला सा अच्छा लगता है. जिन चीजों की जरूरत नहीं उन्हें हटा रही हूं. आप ही बताइए नकली फूलों से सजे इस कीमती फ्लौवर पौट के बजाय क्या मिट्टी का यह गमला और इस में मनी प्लांट का पौधा अच्छा नहीं लग रहा? बाजार से खरीदे गए इन शोपीसेज के बजाय मैं ने अपने हाथ की कुछ कलात्मक चीजें दीवार पर लगा दी हैं. आप कहें तो हटा दूं वैसे मु झे तो अच्छे लग रहे हैं.’’
‘‘नहींनहीं रहने दो. दूसरों को भी तो पता चले कि हमारी छोटी बहू में कितने हुनर हैं,’’ कह कर सास ने चुप्पी लगा ली.
श्रद्धा ने खुद को अपनी मिट्टी से भी जोड़े रखा था. सुबह उठ कर ऐक्सरसाइज करना, घास पर नंगे पांव चलना, गार्डनिंग करना, कुकिंग करना, वाक करना आदि उस की पसंदीदा गतिविधियां थीं. अमन के कहने पर उस ने स्विमिंग करना और कार चलाना जरूर सीख लिया था, मगर दैनिक जीवन में इन से दूर ही रहती. शाम को समय मिलने पर डांस करती तो सुबहसुबह साइकिल ले कर निकल पड़ती. पैसे भले ही कितने भी आ जाएं, मगर फालतू पैसे खर्च नहीं करती.
उस की ये हरकतें देख कर अमन की दोनों भाईभाभियां, बहन और मांबाप कसमसा कर रह जाते पर कुछ कह नहीं पाते, क्योंकि श्रद्धा शिकायत के लायक कुछ भी गलत नहीं करती थी.
इधर एक दिन जब दोनों भाभियां सास के साथ किट्टी पार्टी में जाने के लिए
सजधज रही थीं तो सास ने श्रद्धा से भी चलने को कहा.
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इस पर श्रद्धा ने जवाब दिया, ‘‘मम्मीजी, आज तो मैं एक लैक्चर अटैंड करने जा रही हूं. संदीप महेश्वरी की मोटिवेशनल स्पीच का प्रोग्राम है. सौरी मैं आप के साथ नहीं जा पाऊंगी.’’
श्रद्धा को प्यार और आश्चर्य से देखते हुए सास ने कहा, ‘‘दूसरों से बहुत अलग है तू. पर सही है. मु झे तेरी बातें कभीकभी अच्छी लगती हैं. एक दिन मैं भी चलूंगी तेरे साथ लैक्चर सुनने. पर आज किट्टी पार्टी का ही प्लान है. मेरी सहेली ने अरेंज किया है न.’’
‘‘जी मम्मीजी जरूर,’’ कह कर श्रद्धा मुसकरा पड़ी.
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