जल्द ही दोनों के परिवार वालों की रजामंदी मिल गई और अमन ने श्रद्धा से शादी कर ली.
शादी के बाद पहले दिन जब वह किचन की तरफ बढ़ी तो सास ने उस से कहा,
‘‘बेटा रिवाज है कि नई बहू रसोई में पहले कुछ मीठा बनाती है. जा तू हलवा बना ले. उस के बाद तु झे किचन में जाने की जरूरत नहीं पड़ेगी. बहुत सारे कुक हैं हमारे पास.’’
इस पर श्रद्धा ने बड़े आदर के साथ सास की बात का विरोध करते हुए कहा, ‘‘मम्मीजी, मैं कुक के बनाए तरहतरह के व्यंजनों के बजाय अपना बनाया हुआ साधारण पर हैल्दी खाना पसंद करती हूं. प्लीज, मु झ से किचन में काम करने का मेरा अधिकार मत छीनिएगा.’’
उस की बात सुन कर सास को कुछ अटपटा सा लगा. भाभियों ने भी भवें चढ़ा लीं. छोटी भाभी ने व्यंग्य से कहा, ‘‘श्रद्धा यह तुम्हारा छोटा सा घर नहीं है जहां खुद ही खाना बनाना पड़े. हमारे यहां बहुत सारे नौकरचाकर और रसोइए दिनरात काम में लगे रहते हैं.’’
बाद में भी घर में भले ही कुक तरहतरह के व्यंजन तैयार करते रहते, मगर वह अपने हाथों का बना साधारण खाना ही खाती और अमन भी उस के हाथ का खाना ही पसंद करने लगा था. अमन को श्रद्धा के खाने की तारीफें करता देख दोनों भाभियों ने भी अपने हाथों से कुछ आइटम्स बना कर अपनेअपने पति को रि झाने का प्रयास किया. फिर तो अकसर ही दोनों भाभियां किचन में दिखने लगी थीं.
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