चाहत के कई रंग होते हैं और कई चेहरे. कई बार उस की पहचान हो जाती है, कई बार नहीं होती. मुनमुन को अपनी चाहत की पहचान तो हुई, लेकिन कब? उस की जिंदगी के लिए भोपाल गैस त्रासदी आखिर क्या थी?