उमेश कहने लगा, ‘‘झूठ बोल रही है वह औरत. एक रोज मुझ से ही पैसा मांगने लगी कि मेरी सास बीमार है, डाक्टर को दिखाना है. मुझे दया आ गई तो दे दिए, फिर तो वह हमेशा पैसे की मांग करने लगी. तब मैं ने मना कर दिया. शायद इसलिए मुझ पर गंदा इलजाम लगा रही है,’’ सफाई देते हुए उमेश ने कहा, पर उस के चेहरे से झूठ साफ झलक रहा था.
‘‘कांता बाई तो अपनी बहू का गर्भपात भी कराने गई थी, लेकिन डाक्टर ने यह कह कर मना कर दिया कि समय ज्यादा हो गया है, जान को खतरा हो सकता है फिर अब तो एक जांच से पता चल जाता है कि बच्चे का बाप कौन है,’’ अपनी नजरें उमेश पर गड़ाते हुए आयुषी ने कहा.
‘‘मुझे ये सब क्यों सुना रही हो? मैं ने कहा न कि मैं ने कुछ भी नहीं किया... बारबार मुझे ये बातें न सुनाओ,’’ उमेश ने अपनी नजरें चुराते हुए कहा.
आयुषी रात भर करवटें बदलती रही. देखा तो उमेश भी नहीं सोया था. आयुषी को अपने दोनों बच्चों का भविष्य अंधकार में डूबता नजर आ रहा था. उस की समझ में नहीं आ रहा था कि क्या करे.
दोनों बच्चों को स्कूल भेज कर और उमेश के औफिस जाने के बाद आयुषी ने कांता बाई के घर का रुख किया.
‘‘कांता बाई, क्या मैं अंदर आ सकती हूं?’’ बाहर से ही आयुषी ने आवाज देते हुए कहा.
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कांता बाई आयुषी को अंदर अपनी कोठरी में ले गई.
आयुषी ने कहा, ‘‘रूपा अगर तुम सब सचसच बताओगी, तो मैं तुम्हारी मदद करने को तैयार हूं.’’