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नयना को उस की मां ने पहले ही चेताया था कि जतिन की पोस्टिंग अंदरूनी जगहों पर ही रहेगी. पर उस वक्त तो नयना को जतिन की मोटी सैलरी ही आकर्षित कर रही थी. अब उसे सबकुछ फीका और अनाकर्षक लगने लगा था. वहां के लोग, वह जगह और खुद जतिन भी. प्यार का खुमार उतर चुका था. उस इतवार देर रात उस ने ऐलान कर ही दिया कि वह हमेशा यहां नहीं रह सकती है.

कुछ ही दिनों के बाद जब उस ने जतिन को सूचना दी कि उस की कंपनी अब वर्क फ्रौम होम के लिए मना कर रही है और उसे अब मुंबई जा कर औफिस जाते हुए काम करना होगा, तो जतिन को जरा भी आश्चर्य नहीं हुआ उस की खुशी जतिन से छिप नहीं रही थी. उस का प्रफुल्लित चेहरा उसे उदास कर रहा था. नयना बारबार कह रही थी कि वह आती रहेगी बीचबीच में. जतिन उसे रांची एअरपोर्ट तक छोड़ने गया. मुंबई में रहने के लिए फ्लैट और बाकी इंतजामों के लिए भी उस ने पैसे भेजे. अब नयना की नौकरी में इतना दम नहीं था कि वह ज्यादा शान और शौकत से रह सके.

अब सोशल मीडिया नयना की मुंबई  के खासखास जगहों पर क्लिक की तसवीरों से पटने लगा. वह जितना खुश दिख रही थी, राघव उतना ही उदास और दुश्चिंता से घिरा जा रहा था. उसे अपनी शादी का अंधकार भविष्य स्पष्ट नजर आने लगा था. बूढ़ी नौकरानी जो पका देती जतिन जैसेतैसे उसे जीवन गुजार रहा था. कालोनी की सभी महिलाएं नयना को कोसतीं कि एक अच्छेभले लड़के का जीवन बिगाड़ दिया उस ने. इंसान कार्यक्षेत्र में भी बढि़या तभी परफौर्म कर सकता है जब वह मानसिक रूप से भी स्थिर हो. जतिन हमेशा दुखीदुखी और उदास सा रहता था, कोयला खदान में उसे अति सतर्कता की जरूरत थी जबकि वह उस के उलट भाव से जी रहा था.

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