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घंटी बजी तो आर्यन ने उठ कर दरवाजा खोला.

‘‘अरे अर्पिता तुम?’’ उस ने हैरानी से पूछा.

‘‘आर्यन, मैं तुम्हें सरप्राइज देना चाहती थी. इसीलिए बिना बताए चली आई.’’

‘‘अच्छा किया जो आ गईं. आओ अंदर आओ,’’ आर्यन ने कहा और फिर अर्पिता को ड्राइंगरूम में बैठा कर पत्नी नेहा को बुलाने अंदर चला गया.

अर्पिता दिल्ली में अकेली रहती थी. करीब 3 महीने पहले उस की औफिस जाते समय बस में आर्यन से मुलाकात हुई थी. फिर एक दिन शाम को इत्तफाक से उन की मुलाकात बसस्टौप पर हो गई. अर्पिता काफी देर से बस की प्रतीक्षा कर रही थी. आर्यन उधर से अपनी बाइक से गुजर रहा था. उसे देख कर रुक गया. आर्यन के आग्रह पर वह उस के साथ चलने को तैयार हो गई.

‘‘अर्पिता, तुम्हारा यहां कोई रिश्तेदार या परिचित तो होगा न?’’ आर्यन ने यों ही बातोंबातों में पूछ लिया.

‘‘नहीं, मेरा यहां कोई रिश्तेदार या परिचित नहीं है.’’

‘‘कोई बात नहीं, तुम मुझे अपना दोस्त समझ कोई भी जरूरत पड़ने पर बेहिचक कह सकती हो.’’

‘‘हां, जरूर,’’ अर्पिता बोली.

फिर आर्यन ने उसे अपनी फैमिली के बारे में बता दिया.

रात को वह बिस्तर पर लेटी तो आर्यन के बारे में देर तक सोचती रही. उस के साथ उसे मेलजोल बढ़ाना चाहिए या नहीं? हालांकि उसे आर्यन की स्पष्टवादिता पसंद आई थी. ऐसे तमाम पुरुष होते हैं, जो शादीशुदा होते हुए भी लड़कियों से यह कह कर दोस्ती करते हैं कि वे अनमैरिड हैं या फिर ऐसे लोग लड़कियों से दोस्ती करने को उत्सुक रहते हैं जिन की बीवी से अनबन होती है. पर आर्यन के साथ ऐसा कुछ नहीं है. फिर उस के लिए तो अच्छा ही होगा कि यहां कोई परिचित तो रहेगा. फिर दोनों अच्छे दोस्त बन गए थे. कभीकभार फोन पर बात कर लेते या कभी साथ बैठ कर चायकौफी पी लेते.

आर्यन थोड़ी देर में लौटा. साथ में नेहा भी थी, बोला, ‘‘अर्पिता, ये है मेरी पत्नी नेहा और नेहा ये है अर्पिता मेरी दोस्त.’’

‘‘हाय नेहा,’’ अर्पिता ने मुसकरा कर कहा.

‘‘हैलो,’’ नेहा ने सामने सोफे पर बैठते हुए कहा.

आर्यन भी उस की बगल में बैठ गया. ‘‘ऐक्सक्यूज मी, जरा तनु को देख लूं. कल उस का टैस्ट है,’’ 5 मिनट बाद ही उठते हुए नेहा बोली.

आर्यन अर्पिता से इधरउधर की बातें करने लगा. फिर वह नेहा से चायनाश्ता लाने के लिए बोलने अंदर आया, ‘‘नेहा, ये क्या मैनर्स हैं, तनु को पढ़ाने के बहाने तुम अंदर चली आईं और यहां आ कर मैगजीन पढ़ रही हो. खैर, अब कम से कम चायनाश्ता तो बना ही सकती हो,’’ आर्यन धीरे बोल रहा था, पर अर्पिता तक आवाज स्पष्ट जा रही थी.

‘‘आर्यन, तुम ने पहले तो मुझे नहीं बताया था कि कोई लड़की तुम्हारी दोस्त है?’’ नेहा कह रही थी.

‘‘नेहा, मैं ने तुम्हें अर्पिता के बारे में बताया तो था.’’

‘‘आर्यन, मैं नहीं जानती थी कि तुम दोनों के बीच इतना गहरा रिश्ता है कि वह घर तक आ जाएगी और वह भी मेरे रहते हुए,’’ नेहा ने गुस्से से कहा.

‘‘नेहा, मैं तो तुम्हें समझदार समझता था, पर तुम तो मुझ पर शक कर रही हो,’’ आर्यन ने कहा.

‘‘अब कोई लड़की तुम से घर पर मिलने आए तो मैं क्या सोचूं?’’

‘‘अर्पिता सिर्फ मेरी अच्छी दोस्त है.’’

‘‘दोस्त… हुंह, कोई भी रिश्ता बनाने के लिए यह नाम काफी अच्छा होता है,’’ नेहा ने कहा.

‘‘शटअप, शर्म नहीं आती तुम्हें ऐसी बकवास करते हुए? तुम इतने संकीर्ण विचारों की हो मैं सोच भी नहीं सकता था,’’ आर्यन ने कहा.

‘‘तुम्हें भी तो शर्म नहीं आई पत्नी और बेटी के होते हुए दूसरी लड़की से संबंध…’’ नेहा गुस्से से बोली.

‘‘नेहा बंद करो यह बकवास… जाओ चाय बना दो,’’ आर्यन उस की बात काटते हुए बोला.

‘‘मैं, तुम्हारी प्रेमिका के लिए चाय बनाऊं. कभी नहीं,’’ नेहा ने साफ मना कर दिया.

नेहा को इस वक्त समझाना या उस से रिक्वैस्ट करना बेकार समझ आर्यन स्वयं किचन में चला गया. थोड़ी ही देर में चाय की ट्रे ले कर वह ड्राइंगरूम में आया.

‘‘आर्यन, तुम क्यों परेशान हुए?’’ अर्पिता बोली. आर्यन व नेहा की बातें सुन उस का मन कसैला हो उठा था, पर अपने हावभाव से वह प्रकट नहीं होने देना चाहती थी कि उस ने उन की बातें सुन ली हैं. वह आर्यन को अपने सामने शर्मिंदा नहीं होने देना चाहती थी.

‘‘अर्पिता, तनु को 1-2 लैसन समझ में नहीं आ रहे थे. नेहा उसे उन्हें समझा रही है. कल उस का टैस्ट है इसलिए मैं ने ही चाय बना ली,’’ आर्यन ने होंठों पर मुसकान लाते हुए कहा.

‘‘चलो, आज तुम्हारे हाथ की चाय पी जाए,’’ अर्पिता कप उठाते हुए बोली.

चाय पी कर वह जरूरी काम याद आ जाने का बहाना कर लौट आई. अर्पिता रास्ते भर नेहा के बारे में सोचती रही. आर्यन कहता था कि बहुत समझदार है नेहा. लगता है अभी तक उसे नहीं समझ पाया… आज नेहा ने जैसा व्यवहार किया उस से तो यही लगता है कि कितने संकीर्ण विचारों की है वह… खैर, चाहे जैसी भी हो आर्यन की पत्नी है. यदि उसे पसंद नहीं तो आर्यन से कोई संबंध नहीं रखेगी वह. उस की वजह से उन के रिश्ते में कोई दरार पड़े यह ठीक नहीं.

अर्पिता को गेट तक छोड़ आर्यन अंदर आया तो अंदर का दृश्य देख कर दंग रह गया. नेहा, जल्दीजल्दी वार्डरोब से अपने कपड़े निकाल कर बैग में रखती जा रही थी. उस का चेहरा गुस्से से लाल हो रहा था.

‘‘नेहा, यह क्या कर रही हो तुम?’’ उस ने आश्चर्य से पूछा.

‘‘मैं अब आप के साथ नहीं रह सकती. अच्छा होगा हम अपने रास्ते अलग कर लें.’’

‘‘नेहा, यह क्या बेवकूफी भरी हरकत कर रही हो?’’ आर्यन ने कहा.

‘‘बेवकूफी मैं नहीं कर रही आप ने की है, जो पत्नी के रहते हुए दूसरी लड़की से संबंध बनाया.’’

‘‘चुप रहो जो मन में आ रहा है बोलती जा रही हो,’’ आर्यन चिढ़ कर बोला.

‘‘सचाई कड़वी ही लगती है. मैं बहुत शरीफ समझती थी आप को, पर आप की असलियत क्या है, अब जान गई हूं,’’ नेहा भी तेज स्वर में बोली.

‘‘नेहा, क्यों बेवजह बात का बतंगड़ बना रही हो?’’ आर्यन ने उसे समझाना चाहा.

‘‘मैं बात का बतंगड़ नहीं बना रही हूं सच कह रही हूं.’’

‘‘नेहा, मेरी बात समझने की कोशिश करो. अर्पिता केवल…’’ आर्यन ने बात पूरी भी नहीं की थी कि नेहा बीच में ही बोल उठी, ‘‘मुझे सफाई देने की कोशिश मत करो प्लीज.’’ फिर नेहा बैग की जिप बंद करते हुए बोली, ‘‘चलो तनु,’’ और उस ने तनु की कलाई पकड़ ली.

‘‘नेहा, तुम्हें जाना है तो जाओ. तनु को मत ले जाओ. वैसे भी उस के टैस्ट चल रहे हैं,’’ आर्यन ने कहा.

‘‘अच्छा मैं यहां अपनी बेटी को आप दोनों की रंगरलियां देखने के लिए छोड़ दूं,’’ नेहा आंखें तरेर कर बोली.

आगे पढ़ें- आर्यन से नेहा की ये बातें बरदाश्त न हुईं तो उस ने…

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