कहानी के बाकी भाग पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें

2 दिन बाद ही अचानक सुबह उठते ही धारा तैयार होने लगी. सुधा चौंकी, ‘‘कहां जा रही हो?‘‘

‘‘मम्मी की तबीयत खराब है. कार ले कर जा रही हूं, जरूरत होगी तो उन्हें डाक्टर को दिखा दूंगी, 1-2 कपडे़ भी ले जा रही हूं. मैं शायद वहां रुक जाऊं 2-4 दिन.’’

‘‘अरे, तुम ने पूछा भी नहीं. सीधे बता रही हो. हमारे यहां ऐसा नहीं होता कि बहू सीधे तैयार हो कर चल दे, और किसी से पूछे भी न.‘‘

‘‘आप आज देर से उठीं, तब तक मैं ने नाश्ता भी बना दिया और फिर तैयार हो गई. और अपने ही घर जाने की परमिशन क्या लेना, मां, मैं ने नई जिम्मेदारियां ली हैं और निभाना भी जानती हूं, मैं जब यहां आऊंगी तब भी मुझे अपनी मम्मी से परमिशन नहीं लेनी होगी. मेरे लिए दोनों घर बराबर हैं, यह आप स्वीकार करें, प्लीज.‘‘

धारा अपनी मम्मी की हेल्थ की चिंता करते हुए कार ले कर चली गई. सुधा ने कहा, ‘‘आजकल की बहुओं के ढंग... वाह, जबान तो ऐसे चलती है कि पूछो मत. एक हम थे कि ससुराल में मुंह नहीं खोला.‘‘

विनय ने जोर से हंसते हुए कहा, ‘‘देखो, झूठ मत बोलो, अम्मां और जीजी को तुम पानी पीपी कर मेरे सामने कोसती थी कि कहां फंस गई, हमारे तो करम ही फूट गए. मुझे याद मत दिलाओ कि तुम कैसे टपरटपर शिकायत करती थी सब की.‘‘

अजय ने जोर का ठहाका लगाते हुए कहा,‘‘पापा, कम से कम मेरी पत्नी पीछे से तो मेरे कान नहीं खाती, जो भी कहना होता है, सीधे मां से ही कह लेती है.‘‘

आगे की कहानी पढ़ने के लिए सब्सक्राइब करें

डिजिटल

(1 साल)
USD48USD10
 
सब्सक्राइब करें

गृहशोभा सब्सक्रिप्शन से जुड़ेें और पाएं

  • गृहशोभा मैगजीन का सारा कंटेंट
  • 2000+ फूड रेसिपीज
  • 6000+ कहानियां
  • 2000+ ब्यूटी, फैशन टिप्स
 
गृहशोभा इवेंट्स में इन्विटेशन

डिजिटल + 24 प्रिंट मैगजीन

(1 साल)
USD100USD79
 
सब्सक्राइब करें

गृहशोभा सब्सक्रिप्शन से जुड़ेें और पाएं

  • गृहशोभा मैगजीन का सारा कंटेंट
  • 2000+ फूड रेसिपीज
  • 6000+ कहानियां
  • 2000+ ब्यूटी, फैशन टिप्स
  • 24 प्रिंट मैगजीन
गृहशोभा इवेंट्स में इन्विटेशन
और कहानियां पढ़ने के लिए क्लिक करें...