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रात के बारह बजे, ब्रिगेड रोड, बैंगलोर की एक सोसाइटी, एवरग्रीन के बाहर आनंद ने बाइक रोकी, पीछे बैठी नीरा ने उसकी कमर में हाथ डाल दिया, आनंद के कंधे पर सर रख कर कहा, “यार, मन ही नहीं हो रहा है तुमसे अलग होने का, आओ न, ऊपर मेरे फ्लैट पर चलो.”

आनंद ने हंसकर कहा, “ऐसी बात क्यों कर रही हो जो पॉसिबल नहीं है? तुम्हारी बहन मुझे रात को इस समय घर में घुसने देगी?”

नीरा ने नीचे से ही तीसरी फ्लोर पर स्थित ऊपर अपने फ्लैट पर एक नजर डाली, फिर कहा, “हमारे फ्लैट की लाइट बंद है, लग रहा है, इरा घर नहीं लौटी, इसका मतलब वो भी अपने बॉय फ्रेंड के साथ कहीं ऐश कर रही है, चलो यार, रास्ता साफ़ है.”

“पक्का, चलूँ?”

“हाँ यार, आई लव यू, तुमसे दूर नहीं रहा जाता.”

इरा और नीरा दो मेधावी, उच्च पदस्थ, बोल्ड एंड ब्यूटीफुल बहनें एवरग्रीन सोसाइटी में दो साल से इस फ्लैट में रह रही थीं. कलकत्ता के धनी, समृद्ध, नामी शख्सियत, जमींदार समर सिंह मुखर्जी की दोनों बेटियां पूरी तरह खुश और संतुष्ट अपनी लाइफ को एन्जाय कर रही थीं. दोनों ने ही जौब बैंगलोर में शुरू की थी. फ्लैट में आकर आनंद ने नीरा को बाहों में भर लिया. नीरा हंसी, “रुको, मुझे पहले इरा को फ़ोन करने दो. कन्फर्म कर लूं कि कहां है, फिर आराम से एन्जौय करेंगें.”

नीरा ने अपने से 2 साल बड़ी बहन इरा को फ़ोन मिलाया पर घंटी बजती रही और‌ फ़ोन नहीं उठा तो नीरा ने कहा, “छोड़ो, वासु के साथ ही होगी.”

आनंद हंसने लगा, “यार, तुम दोनों बहनों का अच्छा है. फुल मस्ती के साथ जी रही हो, कोई रोक टोक नहीं.”

“जलन हो रही है?” नीरा ने हंसकर आनंद के गले में बाहें डाल दी. आनंद ने उसकी कमर में हाथ डाल उसे अपनी ओर खींच लिया. दोनों एक दूसरे में खोते चले गए. थोड़ी देर बाद आनंद घर जाने के लिए खड़ा हो गया, तो नीरा ने कहा, “वैसे अब मुझे इरा की चिंता भी हो रही है आनंद. इरा कहीं भी जाए, बता कर ही जाती है.”

“वासु को फ़ोन कर लो, उसका नंबर है तुम्हारे पास?”

“हां है. ये ठीक कहा तुमने.”

नीरा अपने फ़ोन में उसका नंबर देखने लगी. वासु को फ़ोन मिलाया. घंटी बजती रही. आनंद ने कहा, “रात बहुत हो गई है, हो सकता है सो गया हो.”

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नीरा कुछ परेशान सी दिखी, अचानक बेड के कोने में रखे एक छोटे से टेबल पर उसकी नजर पड़ी तो वह चौंकी. टेबल की दराज में से एक पेपर झाँक रहा था, नीरा लपकी. पेपर निकाला. नीरा को एक तेज झटका लगा. इरा की ही हैंड राइटिंग थी. लिखा था, “डोंट लुक फॉर मी-इरा.”

नीरा जोर से चिल्लाई, “देखो, आनंद.”आनंद ने भी नोट पढ़ा, कुछ समझ नहीं आया, इतना ही पूछा, “तुम्हारा दोनों बहनों का कोई झगड़ा तो नहीं हुआ?”

“अरे नहीं नहीं, हम कभी नहीं झगड़ती, इरा मुझसे दो साल ही तो बड़ी है, हम दोनों तो बहुत अच्छी दोस्त जैसी हैं. क्या करूँ? कहाँ चली गयी यह? कहां ढूंढूं?”

“कहीं तुम्हे परेशान करने के लिए तो नहीं लिख गयी और अभी किसी फ्रेंड के घर हो?”

“ऐसा मजाक तो उसने कभी किया नहीं.”

रात के 2 बज चुके थे. आनंद ने परेशान नीरा को अकेले छोड़कर जाना ठीक नहीं समझा. बोला, “सुबह उसके दोस्तों को फ़ोन करना, अभी आराम कर लो, दिन भर आफिस में थी, थोड़ा रेस्ट कर लो. नीरा, मैं भी अभी रुकता हूं. सुबह पता करते हैं.”

आनंद वहीँ बेड पर अधलेटा सा हो गया, नीरा इधर से उधर टहलती रही, फिर आनंद के हाथ पर ही सर रखकर लेट गयी, नींद तो किसी को भी नहीं आ रही थी, दिमाग परेशान था, इरा की चिंता हो रही थी. आनंद और नीरा एक कॉमन फ्रेंड के घर मिले थे, दोस्ती हुई जो अब प्यार में बदल चुकी थी. दोनों बहनें पिता से फ्री थीं, अपनी बातें पिता से फ़ोन पर शेयर करती रहती, नीरा ने अपने पिता को भी आनंद के बारे में बता दिया था. इरा और नीरा की माँ बहुत पहले इस दुनिया से जा चुकी थीं, भाई कोई था नहीं. समर सिंह मुखर्जी ने अपनी दोनों बेटियों को बहुत लाड प्यार से पाला था. पुरानी जमींदारी थी. अथाह दौलत थी. समर सिंह एक भले इंसान थे. उम्र के इस मोड़ पर कई बीमारियों ने उन्हें घेर रखा था. बेटियों को उन्होंने पढ़ा लिखा कर उनको खुद अपने पैरों पर खड़ा करने की छूट दी थी. वर्ना जो वेतन पातीं थीं, उससे ज्यादा तो हर साल हवेली को रंग करने में खर्च कर दिया जाता था. अब वे कलकत्ता में दोस्तों और नौकरों के सहारे रहते. बेटियां लगातार उनके संपर्क में रहतीं.

सुबह होते ही नीरा ने अपने और आनंद के लिए चाय बनाई, जल्दी से फ्रेश होकर तैयार हुई, बोली, “आनंद, वासु के घर चलते हैं.”

“चलो.”

दोनों जय नगर पहुंचे, वासु अपने पेरेंट्स के साथ वहीं रहता था. नीरा वासु के घर तो कभी नहीं गयी थी. वहां पहुंच कर उसने वासु को फ़ोन मिलाया. अपना परिचय देकर उसका एड्रेस पूछा. वासु के बताने पर दोनों उसकी बिल्डिंग के नीचे जाकर रुक गए. आनंद ने कहा, “नीरा, अभी सात ही बजे हैं, अभी उसके घर ऊपर जाना ठीक रहेगा या उसे नीचे बुला लें?” अभी आनंद की बात पूरी भी नहीं हुई थी कि वासु का फ़ोन आ गया, “नीरा, मैं ही नीचे आ रहा हूं.”

आनंद ने सुनकर कहा, “लो, प्रौब्लम ही ख़तम हो गई.”

वासु नीचे आ गया. नीरा वासु से कई बार मिल चुकी थी. वह घर आता रहता. आते ही बोला, “नीरा, क्या हो गया सुबह सुबह?”

“वासु, इरा कहाँ है?”

“क्या? क्या हुआ? मुझे तो नहीं पता?”

“इरा रात भर घर नहीं आई, वासु,” कहते कहते नीरा का स्वर भर्रा गया, वासु बुरी तरह चौंका, कहा, ”क्या?”

“हां,” नीरा ने उसे इरा का लिखा नोट नहीं बताया, पर आगे कहा,” तुम्हारी उससे कुछ बात हुई कल? तुम कब मिले थे उससे?”

वासु कुछ देर चुप रहा, फिर धीरे से कहा, ”नीरा, हमारा तो ब्रेक अप हो गया.”

नीरा को जैसे करंट सा लगा. जोर से बोली, ”क्या? कब? मुझे तो इरा ने बताया ही नहीं. हुआ क्या?”

“एक महीने से हम टच में नहीं हैं. जब से वह एक माह पहले कोलकाता से लौट कर आई थी तभी से. बड़ी वीयर्ड बातें कर रही थी. कहने लगी थी कोई अपना नहीं होता. शादी नहीं करूंगी क्योंकि कोई सगा नहीं, कोई संबंधी नहीं. यह जीवन तो क्षणभंगुर है. तुम्हें बांध कर नहीं रख सकती.”

अब नीरा को वासु से इस बारे में और बात करना ठीक नहीं लगा, इस बीच आनंद चुप ही था, अब बोला, “चलें? नीरा.”

“ठीक है, वासु, कहीं से, किसी भी दोस्त से कुछ पता चले तो बताना, “कहकर नीरा और आनंद वहां से चले गए. आनंद ने एक कैफे में बाइक रोकी, बोला, “नीरा, आओ कुछ खा लें. ऑफिस जाओगी क्या?”

“समझ नहीं आ रहा, क्या करूँ? इरा की चिंता हो रही है. उसने मुझे अपने ब्रेक अप के बारे में भी नहीं बताया, पता नहीं क्या बात है, कहाँ है! पिछले महीने पिता जी के पास गई तो थी.”

“आफिस जाओगी?”

“नहीं, आज छुट्टी लूंगी. उसके और दोस्तों से पता करती हूं. तुम मुझे घर छोड़ दो, फिर आफिस जाना.”

“हां, अब पहले घर जाऊंगा. मम्मी पापा को रात में झूठ बोला था कि एक दोस्त के घर हूं. काम है, फ्रेश होकर आफिस जाऊंगा. शाम को मिलता हूं, वैसे कहो तो मैं भी छुट्टी ले लूं?”

“नहीं, नहीं. तुम जाओ. आज तो मैं फ़ोन पर ही उसके दोस्तों से बात करुँगी, या इरा के ऑफिस भी चली जाऊंगी. “दोनों ने एक एक कप कॉफ़ी के साथ एक एक सैंडविच खाया. नीरा को उसके फ्लैट पर छोड़ कर फिर आनंद ऑफिस चला गया.

इरा अचानक पिताजी से मिलने गई थी. नीरा ने सोचा था कि वह वासु के बारे में बात करने गई होगी. पिता जी ने मना कर दिया होगा तो शायद उसने वासु से संबंध तोड़ लिया होगा. पर यह आध्यात्मिक बातें उसकी समझ में नहीं आ रही थीं. इरा तो पक्की लैफटिस्ट थी. तभी तो दोनों करोड़ों रुपए की मालकिनें होते हुए भी वे साधारण सी नौकरियां कर रही थीं.

अब नौ बज रहे थे, नीरा ने ऑफिस छुट्टी का मेल भेज दिया, रात भर की जागी थी, थकी आँखें बंद कर लेट कर सोचने लगी कि कहाँ और कैसे ढूंढें इरा को, बहन की कितनी ही बातें उसके दिमाग में घूमने लगीं. वासु से ब्रेक अप हो गया है, उसे क्यों नहीं बताया? दोनों बहनों की ज़िन्दगी तो एक दूसरे के लिए खुली किताब थी. वासु से पहले भी इरा का जो बौय फ्रैंड था, तनय. उससे भी इरा का जब ब्रेक अप हुआ इरा ने सब कुछ नीरा से शेयर कर लिया था कि तनय को शराब पीने की बुरी आदत थी. इरा तो मेंटली बहुत स्ट्रांग है, इस ब्रेकअप के बाद वह जरा भी दुखी नहीं हुई थी. वासु से भी उसके नजदीकी सम्बन्ध थे, कहीं वह वासु से ब्रेक अप के बाद दुखी तो नहीं हो गयी? कहीं उसने कुछ… नहीं नहीं, एक बुरा ख्याल आते ही नीरा झटके से उठ कर बैठ गयी. क्या करे? पापा को बताये? नहीं, पापा को दो महीने पहले ही दूसरा हार्ट अटैक आया है, आर्थराइटिस के मरीज हैं. कहीं परेशान होकर बैंगलोर ही न आ जाएं? वे तो किसी भी तरह से सफर के लायक नहीं. नहीं, पापा को परेशान नहीं करुंगी. खुद कोशिश करती हूं इरा को ढूंढने की!

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नीरा के पास इरा के कलीग्स नील और तपन का नंबर था, ये दोनों कई बार घर आकर महफ़िल भी जमा चुके थे, नीरा ने पूरी बात नील को बताकर पूछा,” कल उसका ऑफिस में मूड कैसा था?”

नील चौंका, “वह तो कल ऑफिस आयी ही नहीं थी.”

“क्या?”

“हाँ, परसो आई थी, एकदम हमेशा की तरह काम किया, हंसती बोलती रही. उसका मूड परसों तो बिलकुल खराब नहीं था. नीरा, बताओ क्या करना है? तुम अकेली परेशान न होना.”

तपन भी सुनकर चौंका था, इतना बोला, “ परसों तो उसका मूड ठीक था, पर हां, कुछ दिन पहले मैंने नोट किया था कि वह बार बार किसी से फोन पर बात करने के लिए कोई कोना ढूंढती. वह कुछ दिनों से बहुत देर तक फ़ोन पर रहती, जबकि पहले ऐसा नहीं होता था. वह काम पर ज्यादा ध्यान देती थी, फ़ोन पर कम दिखती थी पहले. अभी एक बार तो बौस ने भी उसे टोक दिया था.”

यह जानकारी नीरा के लिए नई थी. वह यह जानती थी कि इरा काम के समय फ़ोन देखती भी नहीं है. कई बार तो उससे बात करने के लिए उसे खुद मैसेज डालने पड़ते, इरा, फ़ोन उठाओ, जरुरी बात है. “ वह इरा अब किससे इतनी बात कर रही थी! नीरा अब चिंतित हुई, उसने इरा की ऑफिस की अच्छी फ्रेंड निराली को फ़ोन मिलाया. निराली भी हैरान होती हुई बोली, “यह क्या चक्कर हो गया, नीरा? वासु से ब्रेक अप हो गया और उसने मुझे बताया भी नहीं. मुझसे तो बहुत कुछ शेयर कर लेती थी, कहां चली गई, पर हां, नीरा, अगर ब्रेकअप हो भी गया था तो भी वह मुझे एक दिन भी दुखी नहीं दिखी. कुछ तो गड़बड़ है, मुझे बताओ, क्या हेल्प कर सकती हूं?” फिर सोच कर बोली, “हां याद आया, अभी पंद्रह दिन पहले कांफ्रेंस रूम में किसी के साथ कौनकाल कर रही थी. एक लड़की और एक पुरुष की आवाज थी. मैंने बिना खटखटाए दरवाजा खोला था तो आखिरी शब्द स्पीकर फोन पर सुनाई दिए थे. कोई लड़की कह रही थी कि मामला करोड़ों का है. मुझे देखते ही इरा ने फोन काट दिया था. फिर कुछ कहे बिना रूम से चली गई थी. उसके पास कोई प्रोजेक्ट ऐसा नहीं जिसमें करोड़ों की डील हो. मैंने पूछना चाहा पर उसका मूड देख कर चुप ही रही.”

नीरा के लिए भी यह नया एंगल था.

“बताउंगी, थैंक्स, यार, तुम लोगों को कुछ भी पता चले तो मुझे जरूर बताना.”

“श्योर, डिअर, टेक केयर.”

नीरा इन सबसे बात करके हटी ही थी कि उसकी कलीग, अच्छी दोस्त किंजल का फ़ोन आ गया, ”क्या हुआ, भाई? पता चला, छुट्टी पर हो? ”

नीरा पूरी बात उसे बताते हुए सिसक ही पड़ी, रात भर के रोके हुए आंसू दोस्त से बात करते हुए छलक ही आये. किंजल नीरा के लिए सोचकर परेशान हुई, बोली, ”रुक, मैं भी छुट्टी लेकर आ रही हूं.” नीरा ने मना किया पर किंजल ने “ मैं आ रही हूं,” कहकर फ़ोन रख दिया. घर परिवार से दूर रहने वाली, नए शहर में जॉब करने वाली लड़कियों के लिए दोस्त ही तो परिवार होता है, किंजल एक घंटे में नीरा के फ्लैट पर मौजूद थी, फिर से पूरी बात सुनी और कहा, “यह तो ठीक किया तुमने कि अपने पापा को नहीं बताया, पर चिंता मत करो, गौतम किस दिन काम आएगा?”

नीरा ने उदास आँखों से सवाल किया, “कौन गौतम?”

“अरे, मेरे पति का नाम भूल गयी तुम?”

नीरा चौंकी, “हाँ, सच में अभी नहीं सूझा था.”

“तो अब मेरा पति गौतम नहीं, एसीपी गौतम तुम्हारी सेवा में हाजिर रहेंगें,” कहकर किंजल ने फौरन अपने पति एसीपी गौतम को फ़ोन करके कहा, “जनाब, आप जरा फौरन नीरा के फ्लैट पर आइये, यहाँ आपकी सख्त जरुरत है. “ उसने नीरा का एड्रेस बता कर फ़ोन रख दिया और नीरा के गले में बाहें डाल दी, उसे तसल्ली दी,” चिंता मत करो, गौतम सब ठीक कर देगा, इरा का पता जल्दी चलेगा, अब परेशान मत हो.”

गौतम जल्दी ही आया, एक बार अपने घर में ही नीरा से मिल चुका था जब किंजल ने कुछ दोस्तों को घर बुलाया था, वह एक ईमानदार, तेज दिमाग, पैनी नजरों वाला पुलिस इंस्पेक्टर था, आते ही नीरा को तसल्ली दी, “इरा का पता जल्दी चल जायेगा, अब बैठ कर मुझे पूरी बात बताओ कि किस किस से तुम्हारी बात हुई है और सबने क्या क्या कहा है.”

नीरा नोट मिलने से लेकर सबसे अब तक हुई पूरी बात उसे बताती चली गई. गौतम सब अपनी डायरी में नोट करता रहा. वह जब तक कुछ सोच रहा था, नीरा सबके लिए चाय बना लायी. गौतम ने फिर सब दोस्तों के फ़ोन नंबर भी ले लिए. अचानक गौतम ने पूछा, “नीरा, तुम्हारे पापा की संपत्ति का वारिस कौन है?”

नीरा के चेहरे का रंग उड़ गया, धीरे से बोली,”इरा, मेरे ख्याल से मुख्य वारिस वही है. पिछले साल ही पिता जी ने कहा था कि बड़े बेटों की तरह वारिस बड़ी बेटी को बनाना चाहते हैं. उस समय मेरी पिताजी से झड़प भी हुई थी. उन्होंने बीमारी का बहाना बनाकर मुझसे रजामंदी पर हस्ताक्षर कराए थे. वे नहीं चाहते थे कि किसी भी प्रौपर्टी के टुकड़े हों. हमारी बुआओं को भी दादाजी ने कुछ नहीं दिया था.”

सामने बैठे गौतम ने अपनी पैनी नजरें यह सुनकर नीरा पर जमा दीं. “तो क्या तुम दोनो बहनों में इसे लेकर कोई समस्या नहीं हुई?”

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नीरा चुपचाप नजरें झुकाई बैठी रही, कुछ आंसू भी गालों पर ढलक आये तो गौतम ने कहा, “डोंट वरी, नीरा. इस बारे में बात बाद में करेंगे. इरा का जल्दी पता चलेगा. अब यह बताओ, वह कहां कहां ज्यादा जाती थी.”

“खाली समय में वासु के साथ आजकल ‘वाइट रूम ‘ ज्यादा बैठती थी, उसे इस कैफे का एम्बिएंस बहुत पसंद था, एम.जी.रोड पर बहुत घूमती थी.”

“ठीक है, चलो, वाइट रूम एक चक्कर लगा लेते हैं, और आज मैं वासु से भी मिलूंगा,” और फिर नीरा को गौर से देखते हुए कहा, आनंद से भी मिलना चाहूंगा.”

गौतम ने फिर किंजल से पूछा, हमारे साथ आओगी या घर जाओगी?”

“मैंने तो नीरा के साथ रहने के लिए ही आज छुट्टी ली है, घर जाकर क्या करुँगी, पति ड्यूटी पर है, दोस्त परेशान है, घर पर अकेले मेरा मन कहाँ लगेगा,” किंजल ने माहौल को हल्का बनाने की कोशिश करते हुए मुस्कुराकर जवाब दिया.

वर्दी देखते ही वाइट हाउस के माहौल में एक सतर्कता सी आ गई. यह एक खूबसूरत कैफे था. मैनेजर तेजस रेड्डी नीरा को पहचानता था, उसने सबका मुस्कुराकर स्वागत किया. सबके लिए कॉफ़ी आर्डर करता हुआ आया और सबको बैठने के लिए कहा. तेजस खुशमिजाज बंदा था. नीरा ने पूछा, “तेजस भाई, इरा यहाँ लास्ट कब आयी थी?”

तेजस ने याद करते हुए बताया,”एक महीना तो हो गया होगा. काफी दिनों से नहीं आए तुम दोनों, सब ठीक तो है?”

इस बार गौतम ने कहा, “इरा गायब है, उसे ढूंढना है, लास्ट टाइम जब वह यहाँ आयी तो किसके साथ थी?”

“अकेली ही आयी थी, हां, बस इतना याद आ रहा है, लगातार फ़ोन पर थी, बहुत देर तक बातें करती रही थीं, अक्सर कुछ देर मेरे पास खड़ी होकर भी मेरे हालचाल लिया करती, उस दिन बस फ़ोन पर ही रही, हां, सर, और याद आया, उन्होंने उस दिन रोस्ट चिकन ओपन सैंडविच पार्सल करवाए थे.”

इस बात पर नीरा बुरी तरह चौंकी, “क्या? पर हम लोग तो प्योर वेजीटेरियन हैं.”

तेजस ने कहा, “हाँ, मैडम, इसलिए यह बात अभी याद आयी, आप लोग तो हमेशा प्योर वेजिटेरिअन मील आर्डर करते हैं. “ फिर उसने गौतम का रुख करते हुए कहा,” ये दोनों मैडम दो साल से यहाँ की रेगुलर कस्टमर हैं, सर, मेरे लायक कोई भी काम होगा तो मैं हेल्प करने के लिए रेडी हूं.”

गौतम ने कहा, “फिलहाल तो तुम्हे इतना करना है कि इरा यहाँ आये या कहीं भी दिखे तो फौरन हमें बताना, फोन नंबर नोट कर लो.”

वहां से बाहर निकलकर गौतम ने कहा, अब तुम दोनों जाओ, मुझे थोड़ा काम है, हम टच में रहेंगें.”

आगे पढ़ें- नीरा और किंजल फिर नीरा के ही फ्लैट पर….

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