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धारा सोसाइटी के फ्लैट को देख कर राधिका ने वहां शिफ्ट करने के लिए तुरंत हामी भर दी. अमन को भी वह मकान पसंद आ गया था. दिल्ली आने के बाद कई दिनों से वे मकान के लिए इधरउधर भटक रहे थे. कब तक होटल के कमरे में कैद हो कर रहते. बैंगलुरु में औफिस के पास ही अच्छा सा फर्निश्ड मकान किराए पर ले रखा था उन्होंने. दिल्ली में भी ऐसे ही मकान की तलाश में थे वे दोनों. अमन को यहां एक कंपनी में अच्छा पैकेज मिल गया था. राधिका ने उस के साथ आने के लिए अपनी नौकरी छोड़ दी थी. उस का विचार दिल्ली आ कर अपने लिए भी एक नई नौकरी की तलाश करना था. होटल में 15 दिन से ज्यादा हो गए थे. घर किराए पर ले कर अब वे होटल से बाहर आने को बेचैन थे.

कई जगह मकान देख कर निराश होने के बाद इस फ्लैट को देख कर उन्हें तसल्ली हो गई. अमन को 2 बैडरूम के इस मकान का सलीके से लगा फर्नीचर और कमरों तथा बाथरूम की साजसज्जा आकर्षित कर रही थी, तो राधिका को मौडरेट किचन. पर इन सब से बढ़ कर जल्द ही नई नौकरी ढूंढ़ कर जौइन करने की इच्छुक राधिका को घर के साथ एक ‘सरवैंट क्वार्टर’ भी होना बेहद सुखद लग रहा था. यहां की सोसाइटी के सभी फ्लैट्स में यह व्यवस्था थी.

फ्लैट से सटा 1 कमरे का छोटा सा क्वार्टर, जिस में बाथरूम और रसोई भी. प्रवेशद्वार भी पूरी तरह अलग था सरवैंट क्वार्टर का. उन क्वार्टर्स में कामवालियां अपने परिवार सहित रही थीं. क्वार्टर के बदले में उन्हें उसी घर का काम कम पैसों में करना होता था. राधिका यह सोच कर बेहद खुश थी कि वह भी अपने फ्लैट के सरवैंट क्वार्टर में मेड को रख लेगी. फिर जौब लगने पर औफिस में निश्चिंत हो कर काम करने के साथसाथ औफिस से आते ही किचन में जुट जाने के झंझट से मुक्त हो जाएगी.

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