राधिका को उस का व्यवहार बहुत खटक रहा था. थोड़ी देर बाद बिमला हाथ में एक पैकेट लिए आई और राधिका को थमाते हुए बोली, ‘‘लो, जल्दी पकड़ो मैडमजी... हमें भी काम खत्म करना है...सारा दिन यहीं लगा देंगे क्या?’’
राधिका को बुरा तो बहुत लगा पर गुस्से को पीते हुए उस ने पैकेट खोल कर अपनी नई चप्पलें निकालीं, जो औनलाइन मंगवाई थीं.
चप्पलें देखते ही बिमला बोली, ‘‘लो, शू रैक तो पहले ही भरा पड़ा है. एक और मंगवा ली आप ने. फालतू खर्च. पैसा तो आप लोगों के पास बहुत है पर गरीब जरा सा कुछ ले ले तो जान निकल जाती है.’’
राधिका का गुस्सा अब 7वें आसमान पर था. बिमला के बदलते व्यवहार से पहले ही परेशान राधिका ने उसे तुरंत काम छोड़ने और क्वार्टर खाली करने का आदेश सुना दिया.
बिमला गुस्सा दिखाते हुए बोली, ‘‘आज ही कमरा खाली कर हम अपनी लड़की के पास चले जाएंगे... रखना किसी और को... पता लग जाएगा आप को और फिर दनदनाती हुई घर से निकाल कर सरवैंट क्वार्टर में घुस गई. कुछ देर बाद ही उस ने अपनी बेटी और दामाद को बुला कर सामान समेटा और 2 घंटे के भीतर कमरा खाली कर दिया.
राधिका का गुस्से और परेशानी से बुरा हाल था. किसी तरह उस ने अधूरा काम निबटाया और आराम करने लेट गई. थकान के कारण जल्द ही उस की आंख लग गई. शाम को डोरबैल की आवाज से ही नींद टूटी.
दरवाजा खोला तो बाहर एक लजाती हुई 23-24 वर्षीय युवती खड़ी थी. देखने से वह नवविवाहिता लग रही थी. उस की कमसिन मुसकराहट देख कर राधिका अपनी सारी परेशानी भूल गई. उस के पास ही युवक भी खड़ा था, जो उस का पति जान पड़ता था.