लेखक- बिकाश गोस्वामी
पढ़ाई का माध्यम हिंदी होने के कारण उस की अंगरेजी कमजोर थी. उस ने खूब मेहनत कर अपनी अंगरेजी भी सुधारी. बीए का इम्तिहान देने के बाद वह गांव न जा कर सीधा दिल्ली चला गया. विजय का परिवार अमीर नहीं था, लेकिन संपन्न था. घर में खानेपीने की कोई कमी नहीं थी. उसे हर जरूरत का पैसा घर से मिलता था, लेकिन वह पैसे की अहमियत को जानता था. वह फुजूलखर्ची नहीं था. वह दिल्ली में अपने इलाके के सांसद के सरकारी बंगले के सर्वेंट क्वार्टर में रहता और उन्हीं के यहां खाता था. इस के एवज में उन के 3 बच्चों को पढ़ाता था. खाली समय में वह अपनी पढ़ाई करता था. इस तरह, 1 साल के कठोर परिश्रम के बाद वह आईएएस की परीक्षा में सफल हुआ.
मसूरी में ट्रेनिंग पर जाने से पहले वह हफ्तेभर के लिए गांव आया. उसी समय उस ने अपनी लड़की को पहली बार देखा. जानकी ने हाईस्कूल में फेल होने के बाद पढ़ाई छोड़ दी थी. इसी वजह से उस ने पहले तो उसे बहुत डांटा फिर उस के साथ उस ने ठीक से बात भी नहीं की. यहां तक कि अपनी लड़की मुन्नी को उस ने एक बार भी गोदी में नहीं लिया.
जानकी ने हर तरह से विजय को खुश करने की कोशिश की लेकिन विजय टस से मस नहीं हुआ. किसी तरह वह 7 दिन काट कर मसूरी चला गया. जानकी कई दिनों तक गमगीन रही. फिर उसे सास और देवर ने समझाया कि वह बहुत बड़ा अफसर बन गया है और इसीलिए उस की पत्नी का पढ़ालिखा होना जरूरी है. मजबूर हो कर जानकी ने फिर पढ़ना शुरू किया. पहले हाईस्कूल फिर इंटरमीडिएट सेकंड डिवीजन में पास किया.