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मर्चेंट नेवी में सेफ्टी औफिसर के पद का 3 महीनों का कौंट्रैक्ट खत्म कर के मैं हिंदुस्तान लौटने वाला था. साइन औफ के समय जरमन स्टाफ कैप्टन ने कंधे पर आत्मीयता से हाथ रख दिया. पिछले 15 सालों से हम अलगअलग शिपिंग कंपनियों में कई बार साथ काम कर चुके थे.

‘‘आई वौंट अ फेवर फ्रौम यू, जैंटलमैन,’’ मिस्टर जेम्स बोले.

‘‘ओ श्योर, इट्स माई प्लेजर.’’

‘‘माई डौटर वौंट्स टू विजिट इंडिया. बट ड्यू टू लास्ट बिटर एक्सपीरियंस, आई डौंट वौंट टू सेंड हर अलोन.’’

‘‘डौंट वरी सर, यू सेंड हर. मी ऐंड माई औल फैमिली मैंबर्स विल टेक केयर औफ हर.’’ मैं ने उन के कड़वे अनुभव को कुरेदने की कोशिश नहीं की.

‘‘थैंक्स. आई बिलीव औन यू, बिकौज आई नो यू सिंस लौंग बैक.’’

हिंदुस्तान पहुंचने के एक हफ्ते बाद मिस्टर जेम्स की बेटी का मेल आ गया. देहरादून एयरपोर्ट से रिसीव कर के मैं बाबरा को घर ले आया. अम्मी और मेरी छोटी बहन अर्शी ने उस का बड़ी गर्मजोशी से स्वागत किया.

20 वर्षीया, फोटोजैनिक चेहरे वाली बाबरा की आंखें नीली और बाल भूरे थे. जरमन मर्द और औरतें अपनी फिगर के लिए बहुत सचेत रहते हैं. बाबरा दुबलीपतली लेकिन पूरी तरह स्वस्थ थी. वह जरमन भाषा के अलावा अंगरेजी और फ्रैंच बोल सकती थी.

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अम्मी को अंगरेजी नहीं आती थी, लेकिन अर्शी ने अंगरेजी में ही घर, महल्ले, शहर के आसपास के दर्शनीय स्थलों के बारे में उसे पूरी जानकारी दे दी थी. बाबरा के रहने, खाने के जरमन तरीके की पूरी व्यवस्था की थी मैं ने.

मेरा मकान शहर की एक पौश कालोनी में था जिस में ड्यूप्लैक्स और फ्लैट्स मिला कर लगभग 50 घर थे. वाचमैन, जमादार, माली की बाकायदा व्यवस्था थी. संपन्न लोग ही हमारी कालोनी में मकान खरीद सकते थे. कालोनी में ज्यादातर उच्च पद वाले सरकारी अधिकारी और बड़े बिजनैस वाले किराएदार थे.

रात का खाना खाने के बाद मैं बाबरा के साथ कालोनी की ही सड़क पर टहलते हुए उसे भारत के ऐतिहासिक नगरों की जानकारी देने लगा. उस वक्त कालोनी के कुछ लोग भी इवनिंग वाक कर रहे थे. हम लोगों को क्रौस कर के वे आगे तो निकल जाते, लेकिन बारबार पलट कर हमें देखने लगते. उन में से एक 45 साल का व्यक्ति, जो शायद किसी सरकारी महकमे में क्लासवन औफिसर था, हमारे साथसाथ चलते हुए हमारी बातें सुनने का प्रयास करने लगा. थोड़ी दूर चल कर फिर तेजी से चहलकदमी करता अपने ग्रुप से जा मिला.

दूसरे दिन सुबह ही कालोनी की दबंग मिसेज वशिष्ठ का फोन मेरी मम्मी के मोबाइल पर आया. औपचारिक बातों में उन्होंने उलाहना दी, ‘‘आजकल आप फौरेनर्स की मेहमाननवाजी में व्यस्त हैं, इसीलिए कल मिसेज मल्होत्रा के यहां किटी पार्टी में दिखाई नहीं दीं.’’

‘‘जी, जरमनी से अनीस के दोस्त की बेटी इंडिया घूमने आई है. बस, उसी के साथ व्यस्त हो गई हूं.’’

‘‘दोस्त की बेटी, या खुद अनीस की दोस्त? बेटे की उम्र हो गई है शादी की. देशविदेश घूमता रहता है. अगर यह लड़की तैयार है तो कर दीजिए चट मंगनी पट ब्याह.’’ नौनस्टौप बोलने के बाद वे खुद ही हो…हो…कर के हंसने लगीं.

‘‘नहींनहीं, ऐसी कोई बात नहीं है.’’ मम्मी इस अप्रत्याशित सवाल पर बौखला सी गईं.

‘‘है कैसे नहीं, अंगरेज लड़की के साथ घूमनाफिरना, कुछ तो मतलब रखता है. अरे, अपनी कालोनी के सेन साहब के बेटे के बारे में तो सुना ही होगा न आप ने?’’

‘‘नहींनहीं, मैं ने कुछ नहीं सुना. मुझे वक्त कहां मिलता है जो कालोनी के घरों के बारे में जानकारियां रख सकूं. किसी के निजी मामलों में दखल देने का मेरा मिजाज भी नहीं है.’’ मम्मी की आवाज में हलकी तल्खी महसूस की मैं ने.

‘‘अरे, तो हमें कौन सी पड़ी है किसी के घर में झांकने की? अब अगर सामने ही कुछ हो रहा है तो आंखें और कान तो बंद नहीं किए जा सकते न. हुआ यों था कि सेन साहब का बेटा पढ़ने के लिए अमेरिका गया था. वापसी पर वह विदेशी गिफ्ट्स के साथ एक अंगरेज लड़की भी ले आया. ये विदेशी लड़कियां हैंडसम लड़कों और उन के बैंकबैलेंस पर ही अपना ईमान खराब करती हैं. न धर्म देखती हैं न जाति. बस, लड़का मालदार हो तो चिपक जाती हैं जोंक सी. जब तक खून से पूरा पेट नहीं भर लेती हैं तब तक नहीं छोड़ती हैं ये.

‘‘सेन भाभी ने बड़ी धूमधाम से उस के साथ बेटे की मंगनी कर दी. कालोनी में, रिश्तेदारी में उन का तो मान बढ़ाती थी अंगरेजन. सगाई के बाद सेन साहब का बेटा स्टूडैंट वीजा पर दोबारा अमेरिका गया. लेकिन क्या बताएं भाभीजी, मुआ 6 महीने में ही लौट आया.’’

‘‘सेन भाभी रोरो कर बतला रही थीं, ‘अंगरेज लड़की के परिवार वाले तकरीबन रोज ही उस पर क्रिश्चियन धर्म अपना लेने के लिए दबाव डालने लगे.’ खालिस पंजाबी परिवार का बेटा भला कैसे ईसाई हो जाता. बेचारा बैरंग लौट आया. धोबी का कुत्ता बन गया- न घर का रहा न घाट का.

‘‘अब वह रोज शराब के प्यालों में अंगरेजन को भुलाने की कोशिश में बोतल पर बोतल खाली कर देता है. सेन साहब तो सदमे से आधे रह गए. बुढ़ापे में उन्हें जवान बेटे का खर्चा उठाना पड़ रहा है. इसीलिए कहती हूं, आप भी जरा आंखें और कान खुले रखना.’’ पूरी कालोनी का पुराण कंठस्थ कर के दूसरी महिलाओं को सुनाना उन के अजीब से असामाजिक व्यवहार में शामिल हो गया था.

दूसरे दिन मोटरसाइकिल पर सवार होने के लिए बाबरा मेरे साथ निकल ही रही थी कि आसपास के घरों की खिड़कियां खुलनेबंद होने लगीं. उस ने मोटरसाइकिल के दोनों तरफ पैर डाल दिए थे, उस की छोटी स्कर्ट थोड़ी और ऊंची हो गई थी.

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दोपहर को वह सनबाथ लेने के लिए बिकिनी पहन कर जैसे ही छत की आरामकुरसी पर बैठी, पड़ोसियों की हमेशा सूनी पड़ी छतों पर कपड़े सुखाने और सफाई करने के बहाने आने वालों की संख्या बढ़ने लगी.

कहां फिल्मों और टीवी स्क्रीन पर दिखलाया जाने वाला गौर वर्ण का अर्धनग्न नारी शरीर और कहां साक्षात अंगरेज लड़की का आधा नंगा संगमरमरी बदन, जिस की ताब में पड़ोसियों की आंखें सिंकने लगीं. मर्दों के मुंह से तो लार टपकतेटपकते बची और खुद महिलाएं, लड़कियां नारी स्वतंत्रता आंदोलन की प्रचारक तो बन गईं लेकिन जरमन लड़की की आजादी आपत्तिजनक साबित करने लगीं. वस्तुस्थिति तो यह थी कि वे भीतर ही भीतर जरमन लड़की से ईर्ष्या कर रही थीं.

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