कहानी के बाकी भाग पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें

अपने इनकार का खामियाजा पल्लवी को कई बार भुगतना पड़ा. संजीव बातबात में राई का पहाड़ बना कर उस पर हाथ उठाने लगा. उसे शक था कि पल्लवी उसे धोखा दे रही है. जब शरद ने उस के जिस्म पर पड़े निशानों को देखा तो वह अपने आपे से बाहर हो गया.

“आज मैं संजीव को‌ छोड़ूंगा नहीं. उसे ऐसा सबक सिखाऊंगा कि वह जिंदगी भर याद रखेगा," शरद ने गुस्से मैं दांत पीसते हुए कहा और बाहर जाने लगा.

“नहीं शरद, तुम ऐसा कुछ नहीं करोगे," पल्लवी ने उसे रोका.

“इतना कुछ होने के बाद भी उस आदमी की तरफदारी कर रही हो?” शरद ने आश्चर्य से पूछा.

“मैं किसी की तरफदारी नहीं कर रही हूं शरद. मैं बस इतना चाहती हूं कि तुम संजीव से दूर रहो. तुम नहीं जानते हो कि वह कितना घटिया आदमी है. कैसेकैसे लोगों के साथ उस का उठनाबैठना है," पल्लवी ने उसे समझाया.

“मैं किसी से डरता नहीं हूं पल्लवी," शरद जोश में आ गया था.

“लेकिन मैं तो डरती हूं. अगर तुम्हें कुछ हो गया तो मैं क्या करूंगी," पल्लवी ने सिर झुका कर कहा तो शरद ने उसे सीने से लगा लिया, “ओह पल्लवी, मैं तुम्हें इस हाल में नहीं देख सकता. तुम संजीव को छोड़ क्यों नहीं देतीं ? मैं ने पहले भी कहा था पल्लवी, मैं हमेशा तुम्हारा खयाल रखूंगा, बस एक बार मेरा हाथ थाम लो."

ये भी पढ़ें- Short Story: कहीं किसी रोज- जब जोया से मिला विमल

“संजीव मेरी जान ले लेगा, मगर मुझे तलाक नहीं देगा. मैं ने देखा है कि वह किस हद तक‌ जा सकता है. शरद मैं चाह कर भी उसे नहीं छोड़ सकती हूं," पल्लवी की आंखों से आंसू टपक पड़े.

आगे की कहानी पढ़ने के लिए सब्सक्राइब करें

डिजिटल

(1 साल)
USD48USD10
 
सब्सक्राइब करें

डिजिटल + 24 प्रिंट मैगजीन

(1 साल)
USD100USD79
 
सब्सक्राइब करें
और कहानियां पढ़ने के लिए क्लिक करें...