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‘‘क्यों न इन दोनों की शादी कर दी जाए गुलाम अली?’’ अब्बू ने रसूल के वालिद से कहा था.

‘‘सही कह रहे हो शम्शुल हक. लाजवाब जोड़ी रहेगी डाक्टर और प्रोफैसर की. मैं रसूल और उस की अम्मी को अभी बताता हूं. कल पीर के मुबारक दिन पर महल्ले में शीरनी बंटवा देंगे?’’

अगले रोज अब्बू के पूछने पर कि शीरनी मंगवाएं, गुलाम अली ने टालने के लहजे में कहा कि रसूल अभी शादी के लिए तैयार नहीं है. एमडी करने के बाद सोचेगा.  ‘‘तो अभी शादी करने को कह कौन रहा है? रहिला को भी एमफिल करनी है. जब तक रहिला की एमफिल पूरी होगी तब तक रसूल भी एमडी कर के शादी के लिए तैयार हो जाएगा.’’

‘‘लेकिन अपने मुकाबले की डाक्टर लड़की से स्कूलकालेज में पढ़ाने वाली से नहीं. गुलाम रसूल को तो यह डाक्टरप्रोफैसर की जोड़ी बनाने वाली बात ही एकदम बचकानी लगी,’’ गुलाम अली ने व्यंग्य से कहा.

अब्बू को ही नहीं रहिला को भी यह बात सरासर अपनी काबिलीयत की तौहीन लगी थी. दोनों परिवारों में तअल्लुकात ठंडे होने शुरू हो गए थे और इस से पहले कि और बिगड़ते, हमेशा की तरह अचानक अब्बू का तबादला हो गया. जल्द ही उन्होंने रहिला के लिए इंजीनियर साहिल तलाश कर लिया...  तभी साहिल और सारिका आ गए.

‘‘डा. रसूल को फोन लगाओ रहिला, मेरे भाई का दिल्ली से फोन आया है कि डाक्टर साहब औपरेशन थिऐटर से बाहर आ गए हैं,’’ सारिका ने उतावली से कहा.  रहिला ने स्पीकर औन कर के नंबर मिलाया. दूसरी ओर से बहुत ही थकी सी आवाज में किसी ने हैलो कहा. रहिला आवाज पहचान गई.

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