‘‘कलरात को खाना ज्यादा बना लेना,’’ अचल ने कहा तो मिहिका ने सोचा कि पूछ ले कि कितने दोस्त आ रहे हैं. मगर फिर यह सोच कर चुप रही कि अचल के मूड का क्या भरोसा? मन चाहा तो जवाब दे देगा वरना ‘तुम्हें क्या लेनादेना जितना कहा है करो’ कह कर अपमानित कर देगा.
अचल प्राय: अपने मित्रों को खाने पर बुलाता रहता था. उन शामों में वाइन का दौर चलता, हंसीमजाक और पत्नियों पर बनाए गए बेहूदा चुटकुले सुनेसुनाए जाते. यों तो अचल को मिहिका का अकेले कहीं भी आनाजाना, किसी पुरुष से हंस कर बात करना पसंद न था, लेकिन अपने मित्रों के लिए मिहिका को घंटों खाना बनाते देखना उस के अहम को संतुष्ट करता था.
मिहिका का आए हुए मित्रों के हंसीमजाक को अनसुना करते हुए सिर झाकाए खाना परोसना और देर रात उन के जाने तक जागते रहना मित्र मंडली में अचल का सीना अहंकार से चौड़ा कर देता था.
‘कभी तो पत्नी का दुखदर्द समझेगा, उस के साथ को दोस्तों सा पसंद करेगा’ सोच कर चुपचाप अचल की निरंकुशता सहती रहती थी मिहिका. प्रतिदिन की तरह ही सोते समय आज अचल जब कुछ मिनटों के लिए एक खुशमिजाज पति में तबदील हो गया तो मिहिका ने पूछ ही लिया, ‘‘कितने लोगों का खाना बनाना है कल शाम?’’
‘‘पारिजात भैया लौट रहे हैं स्विट्जरलैंड से. कल का डिनर हमारे घर पर ही होगा उन का,’’ अचल ने बताया.
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पारिजात का नाम मिहिका के मन को उल्लसित कर गया. अचल के मित्र हिमांशु से 5 वर्ष बड़ा उस का भाई पारिजात मिहिका का कुछ नहीं लगता था, फिर भी कुछकुछ अपना सा लगता था उसे.
पारिजात के नाम का जिक्र हुआ तो 3 वर्ष पूर्व के दिनों में खो गई मिहिका, जब उस का अचल से विवाह हुआ था. विवाह के बाद तब पारिजात के लिए मिहिका के मन में अलग सा स्थान बन गया था, जब मिहिका का स्वागत पारिजात ने यह कहते हुए किया था कि अचल की मुझे कोई चिंता नहीं रहेगी अब. तुम सी खूबसूरत, पढ़ीलिखी समझादार पत्नी जो मिल गई है उसे.
यों भी पारिजात सुदर्शन, सहृदय और सुलझे व्यतित्त्व का स्वामी होने के साथसाथ प्रतिभावान भी था. हिमांशु जब बीएससी कर रहा था तभी एक दुर्घटना में उस के मातापिता चल बसे थे. उस समय पारिजात का एक रिसर्र्च इंस्टिट्यूट में असिस्टैंट डाइरैटर की पोस्ट पर चयन हुआ था. हिमांशु को मातापिता का स्नेह देते हुए पारिजात ने पढ़ालिखा कर इंजीनियर बनाया और एक बहुराष्ट्रीय कंपनी में प्लेसमैंट होने पर कई लड़कियां देखने के बाद हिमांशु की हां होने पर उस का विवाह करवाया था.
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अचल पर भी पारिजात के कई उपकार थे. पारिजात ने उस की लिखनेपढ़ने में बहुत मदद की थी. इतना ही नहीं मिहिका के विवाह से कुछ वर्ष पूर्व जब अचल की विधवा मां कैंसर से पीडि़त हो अस्पताल में अंतिम दिन गिन रही थीं, तब पारिजात प्रतिदिन उन के पास जा कर बैठता, बातें कर उन का दिल बहलाता और कभीकभी रात में भी वहां ठहर जाता था. अचल की मां का देहांत हुआ तो अचल की बहन का अपने एक मित्र से रिश्ता तय करवा कर अचल का बोझा भी हलका कर दिया था पारिजात ने. यह बात अलग है कि दूसरों की जोडि़यां बनाने वाले पारिजात ने अपने लिए अविवाहित रहने का रास्ता चुना था.
अचल का विवाह हुआ ही था कि उस का मित्र हिमांशु अपनी पत्नी को ले कर आस्ट्रेलिया चला गया, लेकिन अचल के पास पारिजात का आनाजाना पहले की तरह ही चलता रहा. पारिजात जब भी आता था तो मिहिका का मन होता कि वह भी उन दोनों के साथ ही बैठी रहे. पारिजात की बातें सुनते हुए बहुत कुछ सीखने को मिल जाता था. बातों ही बातों में पारिजात उन की समस्याएं जान जाता व सुलझाने का पूरा प्रयास करता.
मिहिका उन दिनों अचल के देर रात तक घर लौटने से बहुत परेशान हो जाती थी. छुट्टी के दिन भी यारदोस्त डेरा जमाए रहते थे उस के घर पर. मिहिका अचल के साथ समय बिताने को तरस जाती थी. पारिजात ने न जाने कैसे मिहिका के मन को पढ़ लिया था. अचल को समझाते हुए कहता कि रात को वह घर देर से आना छोड़ दे. मिहिका के कानों ने कई बार पारिजात को अचल से यह कहते सुना था कि सारा दिन वह तुम्हारे इंतजार में काट देती है और संडे को भी तुम उसे किचन में लगा देते हो. पतिपत्नी का यही समय अपना होता है. बाद में बच्चे, घरगृहस्थी, ढेरों जिम्मेदारियां. जी लो अचल, इन सालों को मिहिका के साथ. कितनी खूबसूरत बीवी पाई है तुम ने.’’ लेकिन पारिजात के इतना समझाने पर भी अचल की आदतें नहीं बदल रही थीं.
अपने संस्थान के एक प्रोजैट में दिनरात परिश्रम करते हुए पारिजात को बहुत सराहना मिली और फिर निदेशक के पद पर प्रमोशन के साथ ही 2 वर्ष के लिए स्विट्जरलैंड जाने का औफर मिल गया था. आज उस के लौटने का समाचार सुन मिहिका उत्साह से भर उठी थी.
पारिजात की फ्लाइट का समय दोपहर 2 बजे का था. उस का घर अचल के घर से कुछ ही दूरी पर था. मिहिका ने अपने घर रखी डुप्लीकेट चाबी ले कर उस के घर की साफसफाई करवा दी, कुछ सामान ला कर रख दिया और गुलाब के ताजा फूल ला कर टेबल पर सजा दिए. एक मेड से पारिजात के घर का काम करने के लिए बात कर उस का मोबाइल नंबर अचल से कह कर पारिजात को व्हाट्सऐप करवा दिया.
अगले दिन दोपहर पारिजात जब अपने घर पहुंचा तो सब कुछ व्यवस्थित देख मन ही मन मिहिका को सराहे बिना नहीं रह सका. सायंकाल वह अचल व मिहिका से मिलने उन के घर जा पहुंचा. इन 2 वर्षों में उस में कोई परिवर्तन दिखाई नहीं दे रहा था. कुछ देर साथ बैठने के बाद मिहिका चाय बना कर ले आई.
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चाय टेबल पर देख अचल मिहिका पर चिल्ला उठा, ‘‘तुम्हें कभी अकल नहीं आएगी. पारिजात भैया इतने दिन स्विट्जरलैंड में रह कर आए हैं, कौफी, जूस या सौफ्ट ड्रिंक ले कर आतीं न इन के लिए. सबकुछ मैं ही बताऊंगा?’’
‘‘मुझे याद है पहले भी ये जब आते थे मुझा से पुदीने और अदरक की चाय बनाने को कहते थे, इसलिए आज भी…’’ मिहिका ने मंद स्वर में उत्तर दिया.
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