नीना और राजन का गंभीरता से किसी मसले पर सलाहमशवरा करना ठीक वैसा ही हैरान कर देने वाला था जैसे हवा में दीपक का जलना. मगर आज दोनों बातचीत में इतने तल्लीन थे कि उन्हें देव के आने का पता भी नहीं चला.
‘‘इतना सन्नाटा क्यों है भई?’’
दोनों ने सिर उठा कर देखा. दोनों की ही आंखों में परेशानी के साथसाथ मायूसी भी थी.
‘‘खैरियत तो है न?’’ देव ने फिर पूछा.
‘‘हां भैया, घर में तो सब ठीक ही है…’’
‘‘तो फिर गड़बड़ कहां है?’’ देव ने राजन की बात काटी.
‘‘सोनिया की जिंदगी में भैया,’’ नीना बोली, ‘‘और वह भी बिना वजह… समझ नहीं आ रहा कैसे उस की मदद करें.’’
सोनिया नीना की खास सहेली थी और उस की ओर राजन का झुकाव भी देव की पैनी नजरों से छिपा नहीं था.
ये भी पढ़ें- अब और नहीं: आखिर क्या करना चाहती थी दीपमाला
‘‘पूरी बात बताओ,’’ देव ने आराम से बैठते हुए कहा, ‘‘हो सकता है मैं कुछ मदद कर सकूं.’’
राजन फड़क उठा…
‘‘सुन नीना, पहले तो सब ठीक ही था, जीजी का इनकार आलोक के दादाजी की हत्या के बाद ही शुरू हुआ है न… तो भैया ठहरे हत्या विशेषज्ञ, जरूर यह मसला भी सुलझा देंगे.’’
नीना ने चिढ़ कर राजन की ओर देखा, ‘‘हत्या से सोनिया बेचारी का क्या लेनादेना? खैर, फिर भी भैया आप सोनिया के लिए कुछ न कुछ सुझाव तो दे ही सकते हैं,’’ नीना बोली, ‘‘आप जानते ही हैं कि सोनिया ने भी राजन के साथ ही आईआईएम अहमदाबाद की प्रवेश परीक्षा दी है और उसे भरोसा है कि वह सफल हो जाएगी. मगर उस के घर वाले चाहते हैं कि परीक्षा का नतीजा आने से पहले ही वह शादी कर ले, फिर अगर उस की ससुराल वाले चाहें तो वह पढ़ाई जारी रख सकती है… पैसे की बात नहीं है भैया, सोनिया के पापा शादी के बाद भी पढ़ाई का पूरा खर्च उठाने को तैयार हैं.’’
‘‘शादी किस से हो रही है?’’ देव ने पूछा.
‘‘अभी तो सोनिया से कहा है कि उसे कोई पसंद है, तो बता दे. वे लोग उस की भी पढ़ाई का खर्चा उठाने को तैयार हैं और अगर उसे कोई पसंद नहीं है, तो वे ढूंढ़ लेंगे.’’
‘‘यानी किसी भी कीमत पर उन्हें सोनिया की शादी करनी है,’’ देव ने फिर नीना की बात काटी, ‘‘मगर क्यों?’’
नीना ने फिर गहरी सांस ली.
‘‘इस की वजह है सोनिया की जीजी किरण का अजीब व्यवहार. किरण की पड़ोस में रहने वाले आलोक से बचपन से दोस्ती थी और दोनों की सगाई की तारीख भी तय हो चुकी थी. लेकिन अचानक किरण ने शादी करने से मना कर दिया. आलोक से ही नहीं किसी से भी. उस का कहना है कि उसे शादी से इनकार नहीं है पर उसे कुछ समय दिया जाए. घर वालों ने 2 साल से ज्यादा समय दिया, मगर किरण अभी भी और समय चाहती है. घर वाले परेशान हो गए हैं. उन का खयाल है कि उन्होंने किरण को नौकरी करने की छूट दे कर गलती की है और यही गलती वे सोनिया के साथ नहीं दोहराना चाहते.’’
‘‘दूध का जला छाछ तो फूंकेगा ही. किरण के व्यवहार की वजह क्या है?’’ देव ने पूछा.
‘‘यही तो वह नहीं बतातीं. वजह पता चल जाए तो सोनिया सब को समझा तो सकती है कि उस के साथ ऐसा कुछ नहीं है. वह पढ़ाई खत्म होने पर शादी कर लेगी पर फिलहाल आईआईएम की पढ़ाई और शादी एकसाथ करना न तो मुमकिन है और न ही मुनासिब.’’
‘‘यह तो है. वह हत्या वाली बात… तुम क्या कह रहे थे राजन?’’
‘‘किरण और आलोक की सगाई से कुछ रोज पहले आलोक के दादाजी की हत्या हो गई थी. हत्या क्यों और किस ने की यह आज तक पता नहीं चल सका,’’ नीना ने बताया, ‘‘लेकिन इस से किरण के इनकार का क्या ताल्लुक?’’
‘‘हो भी सकता है. किरण और आलोक जानेपहचाने से नाम हैं,’’ देव कुछ सोचते हुए बोला, ‘‘ये लोग सुंदर नगर में पासपास की कोठियों में तो नहीं रहते?’’
‘‘जी हां,’’ नीना बोली, ‘‘आप कैसे जानते हैं?’’
‘‘ये दोनों कालेज में मेरे से 2 साल पीछे थे और मेरे निर्देशन में दोनों ने नाटकों में अभिनय भी किया था. हमारे एक नाटक ‘चोट’ का चयन अखिल भारतीय नाटक प्रतियोगिता में होने पर हम सब दूसरे शहरों में उस के मंचन के लिए भी गए थे और तब हमारी अच्छी दोस्ती हो गई थी. मैं ने एक बार जब आलोक से पूछा था कि किरण के साथ शादीवादी करने का इरादा है तो उस ने बड़ी गंभीरता से हां कहा था.’’
‘‘शादी के लिए इनकार आलोक नहीं किरण कर रही है. हालांकि आलोक ने भी अभी शादी की बात नहीं है. काम की व्यस्तता के कारण
2-3 साल पहले उस ने आईबीएम की एजेंसी ली और मार्केट में पैर जमाने के लिए बहुत भागदौड़ कर रहा था. अब धंधा जम गया है और वह शादी कर सकता है. यह सुन कर किरण के घर वाले बेचैन हो गए हैं. भैया, आप क्या आलोक से मिल कर किरण के इनकार की वजह नहीं पूछ सकते?’’ नीना ने पूछा.
‘‘जब इनकार किरण कर रही है तो आलोक से क्यों, किरण से क्यों नहीं? मुझे किरण से मिलवा सकती हो?’’
‘‘हां, जब भी आप कहें. शादी न करने के सिवा उन्हें और किसी बात से इनकार नहीं है,’’ नीना बोली, ‘‘मेरा मतलब है किसी से मिलनेजुलने से उन्हें कोई परहेज नहीं है. क्यों न मैं कल शाम को सोनिया के घर चली जाऊं और आप मुझे लेने वहां आ जाओ.’’
ये भी पढ़ें- बिन सजनी घर: मौली के मायके जाने के बाद समीर का क्या हुआ
‘‘ठीक है, मैं औफिस से निकलने से पहले तुम्हें फोन कर दूंगा ताकि तुम किरण से मुलाकात का जुगाड़ भिड़ा सको.’’
अगले दिन जब देव नीना को लेने पहुंचा तो वह किरण और सोनिया के ड्राइंगरूम में बैठी हुई थी.
‘‘अरे सर, आप?’’ किरण चौंकी.
‘‘आप यहां कैसे वकीलनीजी?’’ देव ने भी उसी अंदाज में कहा, फिर नीना और सोनिया की ओर देख कर बोला, ‘‘मेरे एक नाटक में यह वकील की पत्नी बनी थी तब से मैं इसे वकीलनीजी ही बुलाता हूं. चूंकि मैं नाटक का निर्देशक और सीनियर था सो किरण तो मुझे सर कहेगी ही. लेकिन सोनिया, तुम ने कभी जिक्र ही नहीं किया कि तुम्हारी जीजी अखिल भारतीय नाटक प्रतियोगिता जीत चुकी हैं.’’
‘‘नीना ने भी कभी आप के बारे में कहां बताया? इन लड़कियों को किसी और के बारे में बात करने की फुरसत ही नहीं है,’’ किरण बोली, ‘‘सर, मुझे आप से कुछ सलाह लेनी है. कभी थोड़ा समय निकाल सकेंगे मेरे लिए?’’
‘‘कभी क्यों, अभी निकाल सकता हूं बशर्ते आप 1 कप चाय पिला दें,’’ कह देव मुसकराया.
‘‘चाय पिलाए बगैर तो हम ने आप को वैसे भी नहीं जाने देना था भैया,’’ सोनिया बोली, ‘‘मैं चाय भिजवाती हूं. आप इतमीनान से दीदी के कमरे में बैठ कर बातें कीजिए. मांपापा रोटरी कल्ब की मीटिंग में गए हैं, देर से लौटेंगे.’’
‘‘और बताओ वकीलनीजी, अपने मुंशीजी, मेरा मतलब है आलोक कहां है आजकल?’’ देव ने किरण के कमरे में आ कर पूछा.
आगे पढ़ें- देव चौंक पड़ा कि तो यह वजह है…
ये भी पढ़ें- एक बार फिर: नवीन से दुखी विनीता आशीष से मिलते ही क्यों मचल उठी?