लेखिका- रीता गुप्ता

मधु को देख इशिता चौंक गई. अभी बमुश्किल 6 महीने ही हुए होंगे, जब वह पहली बार उस से मिली थी.

झारखंड के एक छोटी सी जगह गुमला से सिविल सर्विसेज की तैयारी करने वह जिद कर के घर से आई थी. चेहरे से टपकते भोलेपन ने उस का मन मोह लिया था. पढ़ाई के प्रति उस की लगन और जज्बे ने सोने पर सुहागे का काम किया था, उस की इमेज को इशिता के दिल में जगह बनाने में.

काश, ये भोलापन और मासूमियत महानगर की भीड़ में अपना चेहरा न बदल ले. पर, उस की शंका निर्मूल साबित नहीं हुई. मधु की बदली वेशभूषा और नई बोली उस का नया परिचय दे रही थी.

इशिता को आज उस के बैच की कक्षा लेनी थी. उन्होंने देखा कि पढ़ाई के मामले में वह अब भी गंभीर ही थी... और यह बात उसे सुकून दे रही थी.

वर्षों से वह कोचिंग सैंटर में पढ़ा रही थी और उसे दुख होता था उन लड़कियों को देख कर, जो अपनेअपने गांवकसबे या शहरों से यहां आ कर यहां की चकाचौंध में खो जाती थीं.

ऊंचे ख्वाबों की गठरी कुछ ही दिनों के बाद, यहां की जिंदगी को अपनाने के चक्कर में बिखर जाते थे, अपनी हीनभावना से लड़ते हुए, अपने को पिछड़ेपन की तथाकथित गर्त से निकालने के फेर में वे और गहरी डूबती चली जातीं.
नकल में अक्ल पर बेअक्ल का परदा डाल ये कसबाई लड़कियां वो सब करने को तैयार हो जाती थीं, जो उन्हें गंवार के टैग से आजादी दे.

ये भी पढ़ें- खामोशियां: पति को इग्नोर करने की क्या थी रोमा की वजह?

आगे की कहानी पढ़ने के लिए सब्सक्राइब करें

डिजिटल

(1 साल)
USD48USD10
 
सब्सक्राइब करें

गृहशोभा सब्सक्रिप्शन से जुड़ेें और पाएं

  • गृहशोभा मैगजीन का सारा कंटेंट
  • 2000+ फूड रेसिपीज
  • 6000+ कहानियां
  • 2000+ ब्यूटी, फैशन टिप्स
 
गृहशोभा इवेंट्स में इन्विटेशन

डिजिटल + 24 प्रिंट मैगजीन

(1 साल)
USD100USD79
 
सब्सक्राइब करें

गृहशोभा सब्सक्रिप्शन से जुड़ेें और पाएं

  • गृहशोभा मैगजीन का सारा कंटेंट
  • 2000+ फूड रेसिपीज
  • 6000+ कहानियां
  • 2000+ ब्यूटी, फैशन टिप्स
  • 24 प्रिंट मैगजीन
गृहशोभा इवेंट्स में इन्विटेशन
और कहानियां पढ़ने के लिए क्लिक करें...