लेखिका- प्रेमलता यदु
ब्लैकबोर्डकी ओर टकटकी लगाए अनु अपनी ही दुनिया में खोई थी. तभी जूही उस की पीठ पर चपत लगाती हुई बोली, ‘‘क्यों घर नहीं चलना क्या और यह तू ब्लैकबोर्ड में आंखें गड़ाए क्या देख रही है? रश्मि मैम ने जो समझाया क्या वह हमारी क्लास की टौपर को समझ नहीं आया?’’
रश्मि मैम अपने छात्रों की चहेती और अपने स्कूल के सभी विद्यार्थियों के बीच सब से लोकप्रिय शिक्षिका थीं. स्कूल की हर छात्रा उन की सुंदरता की कायल थी. रश्मि की सादगी और सौम्यता सभी को आकर्षित करती थी.
रश्मि भी अपने विद्यार्थियों का खूब खयाल रखतीं खासकर अनु का, क्योंकि अनु की मां कनक उस की सहपाठी व अभिन्न सहेली थी. अनु के संग रश्मि का दोस्ताना व्यवहार था. जब भी अनु को कोई दुविधा होती और जो बात वह अपनी मां या अपनी सहेली जूही से नहीं कह पाती रश्मि से साझा करती.
अनु जब अपनी मां कनक से नाराज होती तो सीधे रश्मि के घर आ जाती और जब गुस्सा शांत होता तभी घर वापस जाती. रश्झ्मि भी बड़े लाड़प्यार से उसे रखतीं. रश्मि के पति का देहांत हो चुका था और वे अकेली रहती थीं. इसलिए अनु के इस प्रकार आ कर रहने पर उन्हें कोई ऐतराज भी नहीं होता था.
रश्मि बायोलौजी सब्जैक्ट और 10वीं क्लास की टीचर थीं. अनु और जूही दोनों
रिश्म की ही क्लास की छात्राएं थीं.
अनु थोड़ा हड़बड़ाती हुई बोली, ‘‘हां.’’
‘‘अरे... क्या हां, तुझे घर नहीं चलना?’’
‘‘हां चलना है, चल,’’ कहती हुई अनु ने अपना स्कूल बैग कंधे पर लटका लिया.
अनु और जूही दोनों सहेलियां थीं. दोनों बचपन से साथ पढ़ रही थीं और आसपास ही रहती थीं. जूही को अनु की मां बहुत पसंद थीं और अनु को जूही की मां.
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